ऐश ही ऐश है न सब ग़म है
रुचि स्मृति |
ज़िंदगी इक हसीन संगम है
:-अली जव्वाद ज़ैदी
यह पंक्ति खुद में बहुत कुछ कहती है. मेरा विषय खुशियों के स्तर और शादी के तरीके लव अथवा अरेंज्ड से है.
एक लेख के अनुसार लव मैरिज में खुशियों का स्तर अरेंज्ड की तुलना में कम पाया गया है. इसके कई कारण हैं. एक तो प्रेम कहने के लिए तो कुछ नहीं देखता लेकिन वास्तविक्ता में जब यह होता है तब प्रेम के अलावा हीं बाकि सब दिखने लगता है. ज्यादातर समय यही होता है.
अब अरेंज्ड मैरिज में सब जरूरी चीजें पहले दिखती हैं, अथवा देखीं जाती हैं फिर प्रेम होता है. सब के मूल में वही चीजें हैं जो खुशियों के पैमाना माने जाते हैं. इसलिए लव मैरिज में लोगों की खुशी का स्तर कम हो जाता है. परिवार खुश नहीं होता कई बार जिस कारण हम कभी खुश ढ़ंग से हो नहीं पाते.
अब सवाल यह है कि फिर चीजों को संतुलित कैसे किया जाए, जिससे शादी के समय भी साथी पसंद आए और खुशी का स्तर भी कायम रहे. इसमें परिवार की भूमिका सर्वोपरि होती है, और हाँ एक बात लिख कर रख लीजिए शादी टूटने में परिवार की भूमिका सबसे अधिक होती है, वो अपने मिथ्या ज्ञान से, मिथ्या गुमान से शादी को बर्बादी की और ले जाते हैं, तो मुद्दे की बात यही है, आप अपने परिवार के साथ बचपन से होते हैं उनकी पसंद को जानते हैं, फिर अपनी पसंद को भी जानते हैं, दोनों का जो कोकटेल कहीं मिले, थोड़ा उन्नीस बीस भी तो उसे अपनाने में विलम्ब ना करें.
खुशी बहुत जरूरी है, शादी भी बहुत जरूरी है. दोनों के लिए प्रयास भी बहुत जरूरी है. आज के समय में समय नहीं है किसी के भी पास, और लड़का हो या लड़की दोनों अगर सफल हैं तो उनके परिवार के लोग उनका ध्यान शादी की और जाने जल्दी से नहीं देते, उनका मानना होता है कि इससे ध्यान भटकेगा.
यह कहाँ तक गलत है यह आप इसी से समझ सकते की लड़का अथवा लड़की हज़ार रिलेशन पाल कर रखते हैं, जिससे उनका ध्यान कितना एकाग्र रहता है, सोच हीं सकते हैं. इसलिए अपनी सोच से अपने बारे में तर्क पूर्ण सोच कर अपनी पूरी एकाग्रता से जिन्दगी के बारे में सोचना चाहिए, धीरजता के साथ.
समाज पर आपके खुश रहने का बहुत प्रभाव पड़ेगा, जिसमें विवाह के तरीके से भी बहुत फर्क पड़ता है. समाज को हमेशा अपनी तरफ से सकारात्मक दिशा अवश्य दें, अपने साथ हुए नकारात्मक अनुभव को फैलाये नहीं उसे अपने साथ हीं दफन करें और नई सुन्दर शुरूआत करें और अनवरत करें, जब तक सफल ना हो जाएं.
एक लेख के अनुसार लव मैरिज में खुशियों का स्तर अरेंज्ड की तुलना में कम पाया गया है. इसके कई कारण हैं. एक तो प्रेम कहने के लिए तो कुछ नहीं देखता लेकिन वास्तविक्ता में जब यह होता है तब प्रेम के अलावा हीं बाकि सब दिखने लगता है. ज्यादातर समय यही होता है.
अब अरेंज्ड मैरिज में सब जरूरी चीजें पहले दिखती हैं, अथवा देखीं जाती हैं फिर प्रेम होता है. सब के मूल में वही चीजें हैं जो खुशियों के पैमाना माने जाते हैं. इसलिए लव मैरिज में लोगों की खुशी का स्तर कम हो जाता है. परिवार खुश नहीं होता कई बार जिस कारण हम कभी खुश ढ़ंग से हो नहीं पाते.
अब सवाल यह है कि फिर चीजों को संतुलित कैसे किया जाए, जिससे शादी के समय भी साथी पसंद आए और खुशी का स्तर भी कायम रहे. इसमें परिवार की भूमिका सर्वोपरि होती है, और हाँ एक बात लिख कर रख लीजिए शादी टूटने में परिवार की भूमिका सबसे अधिक होती है, वो अपने मिथ्या ज्ञान से, मिथ्या गुमान से शादी को बर्बादी की और ले जाते हैं, तो मुद्दे की बात यही है, आप अपने परिवार के साथ बचपन से होते हैं उनकी पसंद को जानते हैं, फिर अपनी पसंद को भी जानते हैं, दोनों का जो कोकटेल कहीं मिले, थोड़ा उन्नीस बीस भी तो उसे अपनाने में विलम्ब ना करें.
खुशी बहुत जरूरी है, शादी भी बहुत जरूरी है. दोनों के लिए प्रयास भी बहुत जरूरी है. आज के समय में समय नहीं है किसी के भी पास, और लड़का हो या लड़की दोनों अगर सफल हैं तो उनके परिवार के लोग उनका ध्यान शादी की और जाने जल्दी से नहीं देते, उनका मानना होता है कि इससे ध्यान भटकेगा.
यह कहाँ तक गलत है यह आप इसी से समझ सकते की लड़का अथवा लड़की हज़ार रिलेशन पाल कर रखते हैं, जिससे उनका ध्यान कितना एकाग्र रहता है, सोच हीं सकते हैं. इसलिए अपनी सोच से अपने बारे में तर्क पूर्ण सोच कर अपनी पूरी एकाग्रता से जिन्दगी के बारे में सोचना चाहिए, धीरजता के साथ.
समाज पर आपके खुश रहने का बहुत प्रभाव पड़ेगा, जिसमें विवाह के तरीके से भी बहुत फर्क पड़ता है. समाज को हमेशा अपनी तरफ से सकारात्मक दिशा अवश्य दें, अपने साथ हुए नकारात्मक अनुभव को फैलाये नहीं उसे अपने साथ हीं दफन करें और नई सुन्दर शुरूआत करें और अनवरत करें, जब तक सफल ना हो जाएं.
(कल्पना:- रुचि स्मृति)