दहेज़ एक कुप्रथा - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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24 अप्रैल 2018

दहेज़ एक कुप्रथा

प्रिया सिन्हा
मधेपुरा 23/04/2018
कैसे इस की भयंकर दुर्दशा,
हम बताएं समाज को,
कल कितना खुबसूरत था,
पर क्या हो गया है आज को.
                  अब प्रस्तुत है आपके सामने,
                   दहेज़ की दर्द भरी दास्तान,
                   प्रिया सिन्हा की जुबान.
आज की इस दुनिया में,
दहेज़ एक ऐसी प्रथा है,
जो कि गरीबों के लिए,
सचमुच एक वृहत् व्यथा है.
                जब गरीब व्यक्तियों के पास,
                दहेज़ की रक़म नहीं होती है,
                तब उनकी ही प्यारी-सी बेटी,
                घर में पड़ी चुपचाप रोती है.
यदि किसी तरह से उनकी,
शादी हो भी जाती है,
तब उनके ससुराल वालों द्वारा,
कभी रूलायी, कभी सतायी,
तो कभी मार दी जाती है.
                इसलिए गरीब नारियों का महत्त्व,
               अब इसी में सिमट-सा गया है;
                मान-सम्मान की बातें तो दूर उनके,
                खुद का वज़ूद भी मिट- सा गया है.

ऐ दुष्ट, दहेज़ के लोभियों,
तुम क्यों आज नारियों की,
ऐसी दुर्दशा करते हो,
एक दिन यही लोभ तुम्हें ले डूबेगा,
आख़िर क्यों इतनी दौलत का नशा करते हो.
                   यदि दौलत को पाने का तुम
                   इतना ज्यादा ही शौक रखते हो;
                  तो क्यों नहीं धन कमाने के लिए,
                  आज से ही अपनी कमर कसते हो.
मेरी मानो तो तुम आज व,
अभी से ही संभल जाओ,
और गरीब नारियों को,
इस तरह से मत सताओ.
                 तुम जिस दिन भी संभल कर,
                 अपने पैरों पे खड़े हो जाओगे,
                 अपनी महत्ता को स्वयं तुम,
                 उस दिन ही समझ पाओगे.
(कल्पना:- प्रिया सिन्हा)

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