वैलेंटाइन्स की विशेष बातें - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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8 फ़रवरी 2019

वैलेंटाइन्स की विशेष बातें

सहरसा 
महोब्बत करने वाले के महीने का शुभारंभ हो चुका है. अब तक लगभग हर कोई एक-दूसरे को पुष्प अर्पित कर आ गए होंगे. इश्क़-विश्क, प्यार-व्यार जिन्दाबाद का नारा जगह-जगह पार्क, रेस्टुरेंट आदि में देखने मिलने लगे हैं.
                        आज हम पार्क को आशिक़ों के पार्क कह सकते हैं. ऐसा अनुभूति होता है कि पार्क आशिक़ों के लिए ही निर्माण करवाया गया हो. वैलेंटाइन वीक ही नहीं हर दिन के गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए हम पार्क को "आशिक़ों के पार्क" कह सकते हैं. पटना का चिड़ियाँ घर, इको पार्क, बुद्ध स्मृति पार्क आदि की रौनक अभी देखने लायक होगी.
                         वैसे ये रौनक हर दिन बरकरार रहती है लेकिन वैलेंटाइन वीक में कुछ ज्यादे. जो लोग नहीं जानते हैं कि पार्क किसे कहते हैं या फिर पार्क का कोई और मायने समझ रहें हैं वो आज पार्क जाकर फील के साथ आराम से इसका सही मायने लगा सकते हैं. हाँ, ज्यादे उम्र के इंसान यानि दादा-दादी उम्र के लोग वैलेंटाइन वीक में पार्क नहीं जाएंगे तो उनके लिए बेहतर होगा.
                       क्योंकि वैलेंटाइन वीक में पार्क जाने से सही संतुलन और मन-मिजाज उनका बदल सकते हैं. वैसे भी आजकल दादा-दादी उम्र के लोगों को हर दिन पार्क में खतरा बनी ही रहती है. वैलेंटाइन वीक का पहला दिन यानि 7 फरवरी को "रोज डे" के रूप में मनाया जाता हैं. जो लोग पहले से रिलेशनशिप में होते हैं वो बिना कोई ताक-झांक के कहाँ से गुलाब लेना, कहाँ क्या करना है अपने प्रेमिका के साथ अरेंजमेंट कर लेते हैं.
                   जबकि सिंगल लोग आशा लगाए बैठे होते हैं कि कहीं से कोई आ जाय और इस वैलेंटाइन में महोब्बत के किस्से शुरू होने का ख्वाब सजा रहें होते हैं. कुछ लड़के-लड़कियाँ का ये ख़्वाब पूरा होता है तो कुछ का यूँ ही पिछले साल के जैसे बंजर पड़ा रह जाता है. ये बताने की जरूरत नहीं कि कौन-सा डे कौन-से दिन है. क्योंकि ये आशिक़ इतने प्रबोद्ध होते हैं कि इतिहास, भौतिकी, रसायन शास्त्र के जनक भले भूल गए होंगे लेकिन सवाल नहीं पैदा होता है कि वैलेंटाइन वीक के कौन से डे कौन से दिन है भूल गया हो.
                             यूँ कहें तो आज के लड़के-लड़कियाँ काफी टैलेंटेड हो गए हैंं. सबसे ज्यादे खूबसूरत फैशन के साथ लड़के-लड़कियाँ इसी वीक में देखने को मिलती है. यूँ कहें तो इस समय सारे लड़के-लड़कियाँ मिस्टर वर्ल्ड और मिस यूनिवर्स का खिताब जीतने से कोई नहीं रोक सकता. महोब्बत में लड़के-लड़कियाँ बिगड़ते हैं तो वहीं दूसरी ओर कुछ बातें से सुधरते भी हैं. जैसे कि पर्सनालिटी में रहना, खुद का ध्यान रखना, ढंग से कपड़ा पहनना, स्मार्टनेस से किसी को भी प्रभावित कर देना.
               जो कि जॉब इंटरव्यू के लिए काफी मायने रखती है. इसीलिए लड़के-लड़कियाँ की महोब्बत को साकारत्मक भी कह सकते हैं. बाद बाकी जो है सो है ही. 
(कल्पना- नवीन कुमार)

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