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3 मई 2021

पत्रकारों को फ्रंटलाइन वारियर्स के रूप में पचास लाख के इंसोरेंस के लिए एआईएसएफ ने उठाई आवाज

मधेपुरा: एआईएसएफ के राज्यव्यापी कॉल पर पत्रकारों को फ्रंटलाइन वारियर्स का दर्जा देने पर छात्र संगठन एआईएसएफ के राष्ट्रीय परिषद् सदस्य हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने मुख्यमंत्री का आभार जताया है लेकिन इसके अन्तर्गत सिर्फ टीका दिलवाने की बात और पचास लाख के इंसोरेंस की घोषणा नहीं करने को संगठन ने दोहरी नीति बताते हुए पत्रकारों को पचास लाख के इंसोरेंस की भी घोषणा करने की मांग की है. 

इस सम्बन्ध में सोमवार को मुख्यमत्री को लिखे पत्र में राठौर ने कहा है कि चौथे पिलर के रूप में जाने जाने वाले पत्रकारों को फ्रंटलाइन वारियर्स का दर्जा देने व इससे मिलने वाली समस्त सुविधाएं देने की मांग संगठन ने राज्य स्तर पर की थी इसपर सरकार ने त्वरित संज्ञान लेते हुए पत्रकारों को फ्रंटलाइन वारियर्स का दर्जा देने का सराहनीय फैसला लिया जिसका एआईएसएफ स्वागत करते हुए माननीय मुख्यमंत्री महोदय का आभार व्यक्त करता हैै.  
लेकिन इसमें फ्रंटलाइन वारियर्स का दर्जा सिर्फ कोविड -19 के टीका लगवाने का निर्णय है कोरोना काल में संक्रमित होने अथवा काल कवलित हो जिंदगी से हाथ धोने की हालत में इंसोरेंस की घोषणा नहीं है जो दुखद है. छात्र नेता राठौर ने कहा कि मुख्यमंत्री के स्तर से जारी घोषणा में यह स्वीकार भी किया गया है कि कोरोना काल जैसे विषम दौर में पत्रकारों कि भूमिका सराहनीय है ऐसे में फ्रंटलाइन वारियर्स घोषित करने के बाद भी आर्थिक लाभ का फैसला नहीं होना सही नहीं है.

ज्ञातव्य हो कि लोकतंत्र के चौथे पिलर के रूप में जाने जाने जाने वाले पत्रकार हर दौर में अपनी जान कि चिंता किए बिना कार्य करते हैं जिससे कई बार अपने जीवन से भी हाथ धोना पड़ता है. उन्होंने मांग किया है कि उक्त मांगों पर गंभीरता से विचार करते हुए पत्रकारों को फ्रंटलाइन वारियर्स के रूप में पचास लाख के इंसोरेंस की भी घोषणा की जाए जिससे उनको अपनी भूमिका निभाने में किसी प्रकार की चिंता का सामना न करना पड़े.  
एआईएसएफ नेता राठौर ने उम्मीद जताई कि इस विषम दौर में मुख्यमंत्री पत्रकारों के हित यह फैसला लेंगे. उन्होंने कहा कि राज्य स्तर पर आज इसको लेकर विभिन्न स्तरों पर पचास लाख के इंसोरेंस की घोषणा के लिए संगठन द्वारा आवाज उठाई जा रही है. एआईएसएफ नेता सौरभ कुमार ने कहा कि कोरोना जैसी भयानक महामारी में पत्रकार लगातार अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर अपना काम कर रहे हैं सरकार को उनके प्रति पूरी सहानुभूति दिखानी चाहिए. 
(रिपोर्ट:- ईमेल) 
पब्लिसिटी के लिए नहीं पब्लिक के लिए काम करना ही पत्रकारिता है....

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