राष्ट्रीय व्याख्यानमाला आयोजन हेतु आईसीपीआर से मिला अनुदान - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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20 जून 2021

राष्ट्रीय व्याख्यानमाला आयोजन हेतु आईसीपीआर से मिला अनुदान

मधेपुरा: योग विश्व को भारत की बहुमूल्य देन है और आज इसे पूरी दुनिया स्वीकार कर रही है. इसी कड़ी में योग की महत्ता को वैश्विक स्तर पर प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया जाता है. इस आयोजन हेतु शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् (आईसीपीआर), नई दिल्ली विभिन्न संस्थानों को अनुदान भी देती है. इसी कड़ी में इस वर्ष स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग, बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा को भी राष्ट्रीय व्याख्यान-माला के आयोजन हेतु सत्रह हजार रूपए अनुदान प्राप्त हुआ है. 

दर्शनशास्त्र विभाग में पहली बार होगा यह आयोजन

दर्शनशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर सह जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि विश्वविद्यालय को आईसीपीआर से योग दिवस मनाने हेतु पहली बार अनुदान मिला है और इस संदर्भ में कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ. सरोज कांत कार ने ई. मेल के माध्यम से उन्हें सूचना दी है. डाॅ. शेखर ने बताया कि इस वर्ष 7वां योग दिवस दिवस का थीम 'योग के साथ रहें, घर पर रहें' है. इस थीम के अनुरूप आईसीपीआर से प्राप्त अनुदान राशि से योग के विभिन्न पहलुओं और इसकी महत्ता के संबंध में ऑनलाइन राष्ट्रीय व्याख्यान-माला का आयोजन किया जाएगा.  
इसके अंतर्गत देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के चार प्रतिष्ठित विद्वानों का व्याख्यान होगा. इनमें अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. जटाशंकर (इलाहाबाद), भारतीय महिला दार्शनिक परिषद् की अध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. राजकुमारी सिन्हा (राँची), हेमवतीनंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर-गढ़वाल की प्रोफेसर डाॅ. इंदु पाण्डेय खंडूरी और नवनालंदा महाविहार, नालंदा के प्रोफेसर डाॅ. सुशीम दुबे के नाम शामिल हैं. इन चारों विद्वानों से बातचीत कर व्याख्यानों की तिथि सुनिश्चित की जाएगी. 

ऑनलाइन राष्ट्रीय व्याख्यान-माला का उद्घाटन भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. रमेशचंद्र सिन्हा करेंगे। बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आर. के. पी. रमण कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे और प्रति कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आभा सिंह मुख्य अतिथि होंगी. डाॅ. शेखर ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस हेतु आईसीपीआर से अनुदान मिलना विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है. इस आयोजन से विश्वविद्यालय की शैक्षणिक उपलब्धियों में एक स्वर्णिम अध्याय जुड़ेगा और इससे नैक मूल्यांकन में भी मदद मिलेगी. 

पहले भी मिला था अनुदान

मालूम हो कि स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग को आईसीपीआर, नई दिल्ली से पहले भी अन्य आयोजनों के लिए अनुदान मिल चुका है. आईसीपीआर के अनुदान से ही कुछ दिनों पूर्व 25 मार्च, 2021 को विश्व दर्शन दिवस पर तीन व्याख्यानों का आयोजन किया गया था. इसके पूर्व 30 अगस्त, 2019 को आयोजित भारतीय दार्शनिक दिवस के लिए भी अनुदान प्राप्त हुआ था. बीएनएमयू, मधेपुरा जैसे साधनविहीन विश्वविद्यालय को विभिन्न आयोजनों के लिए अनुदान स्वीकृत करने हेतु आईसीपीआर के अध्यक्ष सुप्रसिद्ध दार्शनिक प्रोफेसर डाॅ. रमेशचंद्र सिन्हा एवं सदस्य-सचिव प्रोफेसर डाॅ. सच्चिदानंद मिश्र साधुवाद के पात्र हैं.  
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिया था प्रस्ताव

डाॅ. शेखर ने बताया कि योग भारत की प्राचीन परम्परा का एक बहुमूल्य उपहार है. यह महज एक व्यायाम नहीं है. यह मन एवं शरीर की एकता और मनुष्य एवं प्रकृति के बीच सामंजस्य का प्रतीक है. आज कोरोनाकाल में योग की महत्ता एवं उपयोगिता और भी बढ़ गई है. योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए भारत सरकार और विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बधाई एवं प्रशंसा के पात्र हैं. प्रधानमंत्री के ही प्रस्ताव पर 2015 से वैश्विक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की शुरूआत हुई है. विश्वविद्यालय स्तर पर भी प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में योग दिवस मनाया जाता रहा है. लेकिन वर्ष 2021 में पहली बार दर्शनशास्त्र विभाग के तत्वावधान में योग दिवस के उपलक्ष्य में एक राष्ट्रीय आयोजन होगा. 

बीएनएमयू भी भारत सरकार के साथ

डाॅ. शेखर ने बताया कि भारत सरकार की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की जरूरत बताई थी. उनके प्रस्ताव पर 11 दिसम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने को मंजूरी मिली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस प्रस्ताव को 90 दिन के अंदर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया. यह संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय का एक रिकार्ड है, जो योग की वैश्विक स्वीकार्यता का भी द्योतक है. भारत सरकार और आईसीपीआर भी दर्शनशास्त्र और योग को लोकप्रिय बनाने के लिए निरंतर सक्रिय है. इसमें बीएनएमयू, मधेपुरा भी भारत सरकार एवं आईसीपीआर के साथ है.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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