संगीत विभाग में आयोजित किए गए सेमिनार - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

Home Top Ad

Post Top Ad

29 मार्च 2024

संगीत विभाग में आयोजित किए गए सेमिनार

मधेपुरा: पार्वती साइंस कॉलेज में संगीत विभाग के तृतीय सेमेस्टर एवं प्रथम सेमेस्टर के छात्रों द्वारा संगीत सौंदर्यशास्त्र एवं रामायण एवं महाभारतकालीन संगीत विषय पर सेमिनार आयोजित किए गए. सेमिनार का विधिवत उद्घाटन प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार, ज्योग्राफी के विभागध्यक्ष राजेश सिंह, शिक्षाशास्त्र के डॉ. श्याम कुमार एवं संगीत के विभागाधक्ष प्रो. रीता कुमारी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. इसके बाद प्राचार्य एवं अतिथियों का स्वागत विभाग अध्यक्ष ने अंगवस्त्र एवं मिथिला पाग बनाकर किया. प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि दर्शन की एक शाखा है जो संगीत में कला, सौंदर्य और स्वाद की प्रकृति और सृजन या प्रशंसा से संबंधित है. संगीत में सौंदर्य पूर्व-आधुनिक परंपरा में, संगीत के सौंदर्यशास्त्र या संगीत सौंदर्यशास्त्र ने लयबद्ध और हार्मोनिक संगठन के गणितीय और ब्रह्माण्ड संबंधी आयामों का पता लगाया. अठारहवीं शताब्दी में ध्यान संगीत सुनने के अनुभव पर केंद्रित हो गया.
उन्होंने कहा कि सौंदर्यशास्त्र दर्शनशास्त्र का एक उप-अनुशासन है. 20वीं सदी में संगीत के सौंदर्यशास्त्र में पीटर किवी जेरोल्ड लेविंसन, रोजर स्क्रूटन और स्टीफन डेविस द्वारा महत्वपूर्ण योगदान दिया गया था. ज्योग्राफी के विभागध्यक्ष राजेश सिंह ने कहा कि कई संगीतकारों, संगीत समीक्षकों और अन्य गैर-दार्शनिकों ने संगीत के सौंदर्यशास्त्र में योगदान दिया है. 19वीं शताब्दी में संगीत समीक्षक और संगीतज्ञ एडुआर्ड हंसलिक और संगीतकार रिचर्ड वैगनर के बीच इस बात को लेकर एक महत्वपूर्ण बहस छिड़ गई कि क्या वाद्य संगीत श्रोता में भावनाओं का संचार कर सकता है. वैगनर और उनके शिष्यों ने तर्क दिया कि वाद्य संगीत भावनाओं और छवियों का संचार कर सकता है; इस विश्वास को मानने वाले संगीतकारों ने वाद्य स्वर वाली कविताएँ लिखीं, जिनमें वाद्य संगीत का उपयोग करके एक कहानी बताने या एक परिदृश्य को चित्रित करने का प्रयास किया गया. 
शिक्षाशास्त्र के डॉ. श्याम कुमार ने कहा कि रामायण काल में संगीत कवि वाल्मीकि द्वारा रचित महाकाव्य रामायण भारतीय संस्कृति का प्राचीन उत्कृष्ट महाकाव्य है. रामायण के अनेक श्लोकों से ऐसा ज्ञात होता है कि उस समय संगीत के अन्तर्गत गायन, वादन तथा नृत्य तीनों का समावेश था. इस महाकाव्य में अनेक स्थलों पर संगीत तथा उसके विभिन्न वाद्यों लय, ताल, मात्रा अंगहार, अक्षर सम और संगीतमय दृश्यों का प्रचुर मात्रा में उल्लेख मिलता है. संगीत विभागध्यक्ष प्रो. रीता कुमारी ने दोनों विषय पर बारीकी से प्रकाश डालते हुए कहा कि महाभारत काल में संगीत के प्रचुर उल्लेख मिलते हैं. महाभारत में संगीत की पूर्व प्रचलित तीनों धाराओं को देखा जा सकता है. गायन, वादन एवं नृत्य तीनों का ही उल्लेख इस समय में था, जिसके लिए गान्धर्व संज्ञा दी जाती थी. महाभारत में साम व गाथा गान का बहुत उल्लेख मिलता है जैसा इसके सन्दर्भ से स्पष्ट होता है कि साम गायन एवं गाथाओं का सम्बन्ध पूर्व की भाँति ब्राह्मणों से तो था ही, लेकिन विश्वासु इत्यादि गन्धर्वो के साथ भी था. ऋषियों के आश्रमों में पुरोहित एवं गान्धर्व लोग साम का गान करते थे.
उन्होंने कहा कि रामायण में गायन के लिए गन्धर्व संज्ञा प्रचलित थी. संगीत के लिए रामायण में गन्धर्व संज्ञा तथा युद्ध संगीत के लिए युद्ध गन्धर्व संज्ञा मिलती है. गन्धर्व के अन्तर्गत स्वर, ताल एवं पद का समावेश किया गया है. गान के अन्तर्गत प्रयुक्त तत्व यथा स्वर के अन्तर्गत श्रुति मूर्च्छा, ग्राम इत्यादि का उल्लेख रामायण काल में मिलता है तथा ताल में प्रयुक्त तत्त्वों का उल्लेख किया गया है. विभागध्यक्ष ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि संगीत का पूर्व विकसित स्वरूप तो भरत एवं परवर्ती आचार्यों के द्वारा प्राप्त होता है यद्यपि रामायण का संगीत भी उच्चकोटि के संगीत का आभास कराता है. रामायण काल में सामवेद का विधिवत् गान होता था, लेकिन इस काल में उतना अधिक प्रचार नहीं था, जितना वैदिक व सूत्र काल में था. दशरथ की अन्त्येष्टि के अवसर पर भी साम गायक ब्राह्मणों ने शास्त्रीय पद्धति से गान किया था. इसके अतिरिक्त उत्तर काण्ड में भी रावण के द्वारा साम स्रोतों के गायन से शंकर की स्तुति करते हुए ऐसा उल्लेख मिलता है. गृह विज्ञान की प्रो. तन्द्रा शरण ने भी अपना अनुभव छात्रों के साथ साझा किया. कार्यक्रम का मंच संचालन शिक्षाशास्त्र विभाग के शिक्षक अजय अंकल ने किया. सेमिनार में तृतीय एवं प्रथम सेमेस्टर के दर्जनो छात्र शामिल हुए. 

मौके पर तृतीय सेमेस्टर के सुनीत साना, मिथिलेश कुमार, रामप्रवेश कुमार, सुगंधा कुमारी, पूजा कुमारी, ज्योति कुमारी, मनीषा कुमारी, बबीता कुमारी, बबली कुमारी, वंदना कुमारी, वंदन कुमारी, कृष्ण कुमार सादा, अमर कुमार, प्रियदर्शनी कुमारी, रंभा भारती, आरती कुमारी, सिंपी कुमारी, कल्पना कुमारी, प्रथम सेमेस्टर के कृष्ण कुमार, सेफा झा, आरती कुमारी, देवरानी कुमारी, मनीषा कुमारी, अर्चना कुमारी, अंजली कुमारी, मिनटी कुमारी, बेबी कुमारी, जुली कुमारी, अर्चना कुमारी, ज्योति कुमारी, कुमकुम कुमारी, कंचन कुमारी, मिली कुमारी, मोनिका कुमारी, राजलक्ष्मी कुमारी, निशा कुमारी, प्रीति कुमारी, प्रियंका कुमारी, रोशन कुमार, सोनी कुमारी, सुनीता कुमारी, सुरेंद्र कुमार, सुरेश कुमार, बंटी कुमारी, इंदु कुमारी आदि शामिल रहे.
(रिपोर्ट:- सुनीत साना) 
पब्लिसिटी के लिए नहीं पब्लिक के लिए काम करना ही पत्रकारिता है....

Post Bottom Ad

Pages