आपसी भाईचारे और रंगों का पावन पर्व होली को समाज के सभी वर्गों को ढेर सारी खुशियां देकर गया. इस दौरान होली की खुमारी में पूरा शहर डूबा रहा. सुबह से ही बच्चे जहां होली बच्चों की टोली विभिन्न डिजाईनों के पिचकारी लेकर रास्ते में आते-जाते लोगों पर रंग का बौछार कर रहे थे. जबकि युवाओं की टोली होली के पांरपरिक वेशभूषा में होली खेलते नजर आए. लेकिन होली का रंगीन नजारा इस बार दो दिन देखने को मिला. चमकते हुए रंग-बिरंगे अबीरों एवं रंगो में पूरा शहर डूबा हुआ था. शहर में हर तरफ रंग उड़ रहे थे, लाल, पीले, हरे, गुलाबी और सभी उन रंगों में डूबे हुए थे. होली में खास बात यह थी की हर मजहब के लोग होली खेल रहे थे. कहते है की रंगों का तो कोई मज़हब नहीं होता है. होली के मौके पर हुड़दंग की शुरूआत रंगों से हुई, जो दोपहर तक जारी रही. अलग-अलग वेशभूषा पहन कर होली खेलने निकले युवाओं की टोली में शामिल युवक एक-दूसरे को रंग लगाकर होली की बधाई देते नजर आए. शहर के चौक-चोराहों में बज रहे होली के पांरपरिक गाने आई रे आई रे होली, मस्तानों की टोली, आज ना छोड़ेंगे हम बस टोली, खेलेंगे हम होली, होली खेले रघुवीरा अवध में होली खेले रघुवीरा, होली आई रे कन्हाई होली आई रे, रंग बरसे भींगे चुनर वाली रंग बरसे समेत अन्य गानों की धून में युवा पूरे उत्साह के साथ डांस करते नजर आए. होली की खुमारी दोपहर में पूरे शहर में छा चुकी थी. हर कोई अपने में मस्त नजर रहा था, कोई बाईक से घुमते हुए होली का जश्न मनाता नजर आया, तो कोई अपने-अपने मोहल्लों में ही बज रहे गानों पर डांस करता नजर आया. लेकिन जैसे दिन ढलता गया. लोग अपने घरों से निकल कर होली खेलना शुरू कर दिया. जबकि शांतिप्रिय लोगों ने पारंपरिक तरीके से होली खेल एक-दूसरे को बधाई दी. देर शाम में अबीर और गुलाल की होली भी जमकर खेली गई. लोग नए परिधान पहन कर अबीर की होली खेलने घर से बाहर निकले. महिलाएं जहां परिवार के सदस्यों के साथ अबीर की होली खेली. वहीं युवक-युवतियां गले मिलकर एक-दूसरे को हैप्पी होली कहते नजर आए.
(रिपोर्ट: मधेपुरा :- एस साना)