हर फैसले को नैक से जोड़ा जाता है लेकिन पहल नहीं होती
सबसे दिलचस्प यह है कि हर घोषणाओं को हमेशा नैक से जोड़कर दिखाया गया कि इससे ग्रेडिंग में बहुत लाभ मिलेगाा. घोषणाओं के बाद बैठकों के नाम पर गर्म चाय नाश्ता का दौर जरूर चला लेकिन फैसले हकीकत में साकार रूप लेने से पहले ही ठंडे बस्ते में डाल दिए गए. ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि नैक से मान्यता व शैक्षणिक माहौल बनाने की दलील कितनी ईमानदार है साथ ही इस पिछड़े क्षेत्र में बने विश्वविद्यालय के गरीब छात्रों के पैसों का दुरुपयोग क्यों. अगर इन फैसलों को हकीकत में कागज से जमीन पर उतारा जाए तो इससे माहौल भी बदलेगा और बीएनएमयू की साख में निखार भी आएगा जो शैक्षणिक माहौल बनाने के साथ साथ प्रतिभाओं में निखार लाने का रास्ता तैयार करेगा.
ईमानदार व योग्य लोगों के हाथ में जिम्मेदारी देने की जरूरत
एआईएसएफ बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि मासिक से लेकर वार्षिक पत्रिका के प्रकाशन अथवा विशेष अवसरों को समर्पित पुस्तकों के प्रकाशन की घोषणा कर उसे मूर्त रूप नहीं दे पाने के पीछे मूल कारण जिम्मेदारी योग्य व ईमानदार लोगों को नहीं देना है. बीएनएमयू में यह परंपरा सी बनने लगी है कि किसी भी प्रकार का काम कुछ ही लोगों के बीच दिया जाएगा क्योंकि वो हमेशा माननीय कुर्सी के इर्द गिर्द मंडराते रहते हैं. जबकि यह जिम्मेदारी सम्बन्धित क्षेत्र के विशेषज्ञ को देनी चाहिए. बीएनएमयू का यह सौभाग्य रहा है कि हर दौर में यहां इससे जुड़े राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शिक्षक कार्यरत रहे हैंं. छात्र नेता राठौर ने शंका भी व्यक्त किया कि ऐसी घोषणाएं कर बिना काम किए पैसों का भी खेल अंदर अंदर चलता होगा इसको इनकार नहीं किया जा सकता. स्थापना के तीन दशक पार कर चुके बीएनएमयू में रिसर्च जर्नल मात्र का भी प्रकाशन नहीं होना सर्वाधिक दुखद पहलू है.
पत्रिकाओं के प्रकाशन से होगा फायदा
बीएनएमयू में जितनी पत्रिकाओं के प्रकाशन की घोषणा की गई है अगर वह नियमित रूप से प्रकाशित होगी तो इसके कई दूरगामी परिणाम होंगे. शोध कर रहे शोधार्थियों को आलेख छपवाने में आसानी होगी, नैक से ग्रेड में जहां सहयोग मिलेगा वहीं सांस्कृतिक व साहित्यिक गतिविधियों को गति भी. साथ ही बीएनएमयू व अन्य विश्वविद्यालयों से लेखनी में स्थानीय से अन्तर्राष्ट्रीय फलक पर अपनी विद्वता का लोहा मनवा रहे शिक्षकों व छात्रों के अनुभव का लाभ विश्वविद्यालय व लोगों को मिलेगाा. साहित्य में रुचि रखने वाले छात्र छात्राओं को भी बड़ा प्लेटफार्म मिलेगा. वहीं विश्वविद्यालय की योजना, प्रयास व परिणाम से आमलोगों को रूबरू होने की सुविधा भी. एआईएसएफ नेता राठौर ने बीएनएमयू प्रशासन से मांग किया कि अविलंब पूर्व के इन घोषणाओं को मूर्त रूप देने की पहल की जाए जिससे विभिन्न स्तरों पर विश्वविद्यालय को लाभ मिल सके.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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