बड़ी घोषणाएं कर खबरों में सुर्खियां बटोर किया जाता है नजरंदाज - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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18 मई 2022

बड़ी घोषणाएं कर खबरों में सुर्खियां बटोर किया जाता है नजरंदाज

मधेपुरा: वाम छात्र संगठन एआईएसएफ की बीएनएमयू इकाई ने विश्वविद्यालय पर बड़ा आरोप लगाया है. संगठन के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि 1992 में स्थापित भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय द्वारा विगत कुछ वर्षों में विकास के नाम पर कई घोषणाएं हुई नैक से मान्यता के लिए उसे सर्वाधिक महत्वपूर्ण बताते हुए भाषणों व खबरों के माध्यम से जम कर सुर्खियां भी बटोरी गई लेकिन हकीकत में फैसले का साकार होना तो दूर प्रारम्भिक पहल की ईमानदार शुरुआत भी नहीं की जा सकी. लंबे अरसे से बीएनएमयू में विश्वविद्यालय स्तरीय पत्रिका के प्रकाशन की आवाज उठती रही जिसके बाद चार साल पहले खेल व सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए 25 मई 2018 को आयोजित क्रीड़ा परिषद की बैठक संख्या 41 के प्रस्ताव संख्या 10 में क्रीड़ा एवम् सांस्कृतिक परिषद के तत्वाधान में बीएनएमयू संगम नामक वार्षिक पत्रिका के प्रकाशन का निर्णय लिया गया जिसके अन्तर्गत अंतर विश्वविद्यालय, प्रांतीय व राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय की उपलब्धि व प्रतिभाओं की प्रतिभा प्रदर्शन को प्रमुखता से जगह देना था.


जो अभी तक प्रकाशित नहीं हो सकी हां यह बात अलग है कि इस मद में राशि जरूर आवंटित हुई. वहीं राजभवन पटना द्वारा प्रकाशित राजभवन संवाद के तर्ज पर बीएनएमयू संवाद नामक त्रिमासिक पत्रिका के प्रकाशन की योजना बनी जिसे विश्वविद्यालय के बढ़ते कदम का आईना तक कहा गया लेकिन एक दो अंक के बाद यह दम तोड़ गई. इसके प्रकाशन के पीछे अनेकानेक तर्क दिए गए. इतना ही नहीं रिसर्च कर रहे छात्रों की जरूरत को देखते हुए बीएनएमयू ग्लोबल जर्नल ऑफ रिसर्च नामक आईएसएसएन युक्त त्रिमासिक शोध पत्रिका के प्रकाशन को लेकर लगातार बैठकों का दौर चला लेकिन वर्तमान में चर्चा में भी नहीं है. दूसरी ओर विश्वविद्यालय के 25 वीं जयंती यानी रजत जयंती वर्ष पर तत्कालीन कुलपति ने बीएनएमयू कल आज और कल नामक पुस्तक प्रकाशन की घोषणा करते हुए रचना आमन्त्रित किया था और कहा था कि यह पुस्तक विश्वविद्यालय स्थापना से अब तक के सफर, चुनौतियों, उपलब्धियों का जहां संगम होगा वहीं सफर के खट्टी मीठी यादों का संग्रह भी. 

लेकिन यह घोषणा सिर्फ घोषणा तक ही सीमित रह गई. छात्र नेता राठौर ने कहा कि हकीकत यह है कि पूर्व के वर्षों में विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर स्मारिका प्रकाशित होती रहती थी उसे भी विगत कई वर्षों से बन्द कर दिया गया है. भाषणों व घोषणाओं की खबरों के सहारे विश्वविद्यालय के शैक्षणिक विकास के नाम पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने जमकर वाहवाही बटोरी लेकिन जमीन पर पहल में ईमानदारी नहीं दिखाई. 

हर फैसले को नैक से जोड़ा जाता है लेकिन पहल नहीं होती

सबसे दिलचस्प यह है कि हर घोषणाओं को हमेशा नैक से जोड़कर दिखाया गया कि इससे ग्रेडिंग में बहुत लाभ मिलेगाा. घोषणाओं के बाद बैठकों के नाम पर गर्म चाय नाश्ता का दौर जरूर चला लेकिन फैसले हकीकत में साकार रूप लेने से पहले ही ठंडे बस्ते में डाल दिए गए. ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि नैक से मान्यता व शैक्षणिक माहौल बनाने की दलील कितनी ईमानदार है साथ ही इस पिछड़े क्षेत्र में बने विश्वविद्यालय के गरीब छात्रों के पैसों का दुरुपयोग क्यों. अगर इन फैसलों को हकीकत में कागज से जमीन पर उतारा जाए तो इससे माहौल भी बदलेगा और बीएनएमयू की साख में निखार भी आएगा जो शैक्षणिक माहौल बनाने के साथ साथ प्रतिभाओं में निखार लाने का रास्ता तैयार करेगा. 

ईमानदार व योग्य लोगों के हाथ में जिम्मेदारी देने की जरूरत

एआईएसएफ बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि मासिक से लेकर वार्षिक पत्रिका के प्रकाशन अथवा विशेष अवसरों को समर्पित पुस्तकों के प्रकाशन की घोषणा कर उसे मूर्त रूप नहीं दे पाने के पीछे मूल कारण जिम्मेदारी योग्य व ईमानदार लोगों को नहीं देना है. बीएनएमयू में यह परंपरा सी बनने लगी है कि किसी भी प्रकार का काम कुछ ही लोगों के बीच दिया जाएगा क्योंकि वो हमेशा माननीय कुर्सी के इर्द गिर्द मंडराते रहते हैं. जबकि यह जिम्मेदारी सम्बन्धित क्षेत्र के विशेषज्ञ को देनी चाहिए. बीएनएमयू का यह सौभाग्य रहा है कि हर दौर में यहां इससे जुड़े राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शिक्षक कार्यरत रहे हैंं. छात्र नेता राठौर ने शंका भी व्यक्त किया कि ऐसी घोषणाएं कर बिना काम किए पैसों का भी खेल अंदर अंदर चलता होगा इसको इनकार नहीं किया जा सकता. स्थापना के तीन दशक पार कर चुके बीएनएमयू में रिसर्च जर्नल मात्र का भी प्रकाशन नहीं होना सर्वाधिक दुखद पहलू है. 

पत्रिकाओं के प्रकाशन से होगा फायदा

बीएनएमयू में जितनी पत्रिकाओं के प्रकाशन की घोषणा की गई है अगर वह नियमित रूप से प्रकाशित होगी तो इसके कई दूरगामी परिणाम होंगे. शोध कर रहे शोधार्थियों को आलेख छपवाने में आसानी होगी, नैक से ग्रेड में जहां सहयोग मिलेगा वहीं सांस्कृतिक व साहित्यिक गतिविधियों को गति भी. साथ ही बीएनएमयू व अन्य विश्वविद्यालयों से लेखनी में स्थानीय से अन्तर्राष्ट्रीय फलक पर अपनी विद्वता का लोहा मनवा रहे शिक्षकों व छात्रों के अनुभव का लाभ विश्वविद्यालय व लोगों को मिलेगाा. साहित्य में रुचि रखने वाले छात्र छात्राओं को भी बड़ा प्लेटफार्म मिलेगा. वहीं विश्वविद्यालय की योजना, प्रयास व परिणाम से आमलोगों को रूबरू होने की सुविधा भी. एआईएसएफ नेता राठौर ने बीएनएमयू प्रशासन से मांग किया कि अविलंब पूर्व के इन घोषणाओं को मूर्त रूप देने की पहल की जाए जिससे विभिन्न स्तरों पर विश्वविद्यालय को लाभ मिल सके.

(रिपोर्ट:- ईमेल)

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