मधेपुरा
स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग में प्रथम सेमेस्टर (सत्र 2017-19) का नियत कार्य एवं सेमिनार का शोध पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 20 जनवरी निर्धारित की गयी है.
सभी चार पत्रों में नियत कार्य एवं सेमिनार में दो-दो टाॅपिक निर्धारित किए गए हैं. दो में से एक टाॅपिक पर कम से कम दो हजार शब्दों का नियत कार्य एवं सेमिनार तैयार करना है. यह जानकारी विभागाध्यक्ष डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी ने दी. उन्होंने बताया कि प्रथम पत्र का नियत कार्य एवं सेमिनार का टाॅपिक क्रमशः भारतीय दर्शन में आत्मा की अवधारणा एवं चार्वाक का नैतिक दर्शन और अनेकांतवाद की अवधारणा एवं वैदिक चिंतन में बहुदेववाद की अवधारणा.
द्वितीय पत्र का नियत कार्य एवं सेमिनार का टाॅपिक क्रमशः रवीन्द्रनाथ टैगोर का शिक्षा दर्शन एवं वैदिककालीन शिक्षा का उद्देश्य और जैन परंपरा में शिक्षा की अवधारणा एवं नैतिक शिक्षा की उपयोगिता. तृतीय पत्र में नियत कार्य एवं सेमिनार का टाॅपिक क्रमशः कांट का कठोरतावाद एवं स्टीवेन्सन के अनुसार नैतिक असहमतियां और मूर के अनुसार शुभ की अवधारणा एवं उपयोगितावाद के पक्ष एवं विपक्ष में तर्क.
चतुर्थ पत्र में नियत कार्य एवं सेमिनार का टाॅपिक क्रमशः बौद्ध दर्शन के अनुसार अनुमान का प्रकार एवं न्याय दर्शन के अनुसार अनुमान की अवधारणा और भारतीय परंपरा में तर्कशास्त्र का विकास एवं चार्वाक द्वारा अनुमान का खंडन हेतु प्रस्तुत तर्क.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग में प्रथम सेमेस्टर (सत्र 2017-19) का नियत कार्य एवं सेमिनार का शोध पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 20 जनवरी निर्धारित की गयी है.
सभी चार पत्रों में नियत कार्य एवं सेमिनार में दो-दो टाॅपिक निर्धारित किए गए हैं. दो में से एक टाॅपिक पर कम से कम दो हजार शब्दों का नियत कार्य एवं सेमिनार तैयार करना है. यह जानकारी विभागाध्यक्ष डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी ने दी. उन्होंने बताया कि प्रथम पत्र का नियत कार्य एवं सेमिनार का टाॅपिक क्रमशः भारतीय दर्शन में आत्मा की अवधारणा एवं चार्वाक का नैतिक दर्शन और अनेकांतवाद की अवधारणा एवं वैदिक चिंतन में बहुदेववाद की अवधारणा.
द्वितीय पत्र का नियत कार्य एवं सेमिनार का टाॅपिक क्रमशः रवीन्द्रनाथ टैगोर का शिक्षा दर्शन एवं वैदिककालीन शिक्षा का उद्देश्य और जैन परंपरा में शिक्षा की अवधारणा एवं नैतिक शिक्षा की उपयोगिता. तृतीय पत्र में नियत कार्य एवं सेमिनार का टाॅपिक क्रमशः कांट का कठोरतावाद एवं स्टीवेन्सन के अनुसार नैतिक असहमतियां और मूर के अनुसार शुभ की अवधारणा एवं उपयोगितावाद के पक्ष एवं विपक्ष में तर्क.
चतुर्थ पत्र में नियत कार्य एवं सेमिनार का टाॅपिक क्रमशः बौद्ध दर्शन के अनुसार अनुमान का प्रकार एवं न्याय दर्शन के अनुसार अनुमान की अवधारणा और भारतीय परंपरा में तर्कशास्त्र का विकास एवं चार्वाक द्वारा अनुमान का खंडन हेतु प्रस्तुत तर्क.
(रिपोर्ट:- ईमेल)