"कुछ तो खोया है तू" - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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30 मई 2019

"कुछ तो खोया है तू"

सहरसा 
तुम कहते "तुम तो भूल ही गए"
यहाँ तो हमें अपने रक्त भूल गए

हर्फ़-हर्फ़ से कैसे शब्द संभालू
यानी हम खुद को भी भूल गए

गोया मेरा कुछ रहा ही नहीं यहाँ
सो कुछ हर किसी को भूल गए

खुदा ने हमें दरगाह भी बुला लिए
ऐसी क्या थी जो हम मंदिर भूल गए

इक किरदार को मुकम्मल किया ही नहीं
शायद खुदा भी कलम पकड़ना भूल गए

इस जहां में कुछ तो खोया है तू "नवीन"
वरना यूँ ही तू सबको नहीं भूल गए

(कल्पना- नवीन कुमार)

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