मधेपुरा: स्थापना काल से बीएनएमयू को कमाने खाने का अड्डा बना कर रख दिया गया है. विश्वविद्यालय की छवि को नीलाम कर बड़े स्तर पर अपना उल्लू सीधा करने की मुहिम सी चल निकली है इसकी वर्तमान कड़ी बीएड से जुड़े अनेकानेक चर्चित प्रकरण हैं. शिक्षक,कर्मचारियों की नियुक्ति, अनाप शनाप फीस की शिकायत व नामांकन में बड़े स्तर पर भाई भतीजावाद का खेल कर प्रतिभावान छात्रों की अनदेखी इसका प्रमाण है.
इसको लेकर लगातार समय समय पर एआईएसएफ सहित अन्य संगठनों ने साक्ष्य सहित आवाज उठाई लेकिन इसपर जांच कर पहल करते हुए कारवाई के बजाय बड़े स्तर दोषियों को बचाने व मामले की लीपापोती की साजिश चल रही. उक्त बातें एआईएसएफ के राष्ट्रीय परिषद् सदस्य सह बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने बीएड प्रकरण पर बीएनएमयू प्रशासन के लगातार खामोशी पर सवाल खड़े करते हुए कही.
छात्र नेता राठौर ने कहा कि एमएलटी कॉलेज में संचालित बीएड के विभागाध्यक्ष डॉ सुप्रिया सिंह द्वारा कुलपति को आवेदन लिख नामांकन में हुई व्यापक धांधली की शिकायत करने के बाद भी उस को आधार मान जांच करवाने के बजाय उल्टे उन्हें कॉलेज व विवि के कई वरीय पदाधिकारियों द्वारा मानसिक व प्रशासनिक स्तर पर प्रताड़ित किया जा रहा हैै. जिसे किसी स्तर पर एआईएसएफ बर्दास्त नहीं करेगा.
छात्र नेता राठौर ने कहा कि लगातार बीएड से जुड़े विभिन्न बिंदुओं यथा नामांकन, नियुक्ति में धांधली की शिकायत उजागर होने व 9 जनवरी की सिंडीकेट की बैठक में माहौल गरम होने पर पांच सदस्यीय जांच टीम का ऐलान किया गया. जिसमें सिंडीकेट सदस्य प्रो जवाहर पासवान, प्रो रामनरेश सिंह, गौतम कुमार, डीएसडब्लयू डॉ अशोक कुमार यादव प्राचार्य प्रो के एस ओझा को नामित किया गया था. लेकिन बैठक के एक माह पूरे होने को हैं लेकिन लगातार दबाव व मांग के बाद भी कमिटी के सदस्यों को अभी तक नोटिफिकेशन जारी नहीं करना किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा करता है.
एआईएसएफ नेता राठौर ने कहा कि नए सत्र में हुए नामांकन में बड़े स्तर पर धांधली सामने आई है जिसके अनेकानेक साक्ष्य भी उपलब्ध हैं. सब कुछ स्पष्ट होने के बाद भी विश्वविद्यालय स्तर से कड़े फैसले नहीं लेना हजम नहीं किया जा सकता. जिसके कारण आम आवाम की यह समझ बन रही है कि पैसे का खेल कर सबकुछ रफा दफा कर दिया गया है जिसके कारण बीएनएमयू की छवि धूमिल हो रही है.
राठौर ने छात्र व बीएनएमयू हित में एआईएसएफ की ओर से मांग किया कि बीएड से जुड़े सभी मांगों को केंद्र में ले सिंडीकेट में गठित जांच टीम में शिक्षा शास्त्र के विशेषज्ञ व अन्य विश्वविद्यालय के के एक प्रतिनिधि को रख यथाशीघ्र सच्चाई सामने लाते हुए दोषियों पर कारवाई व पीड़ित छात्रों के साथ न्याय किया जाए. राठौर ने साफ शब्दों में कहा कि संगठन किसी भी कीमत पर इस धांधली की लीपापोती नहीं होने देगा विश्वविद्यालय द्वारा कदम नहीं उठाने पर आर पार की लड़ाई भी लड़़ेगा.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
पब्लिसिटी के लिए नहीं पब्लिक के लिए काम करना ही पत्रकारिता है....