मधेपुरा: पिछले कुछ वर्षों से लाखों युवाओं को नौकरी इसलिए भी नहीं मिल रही है, क्योंकि विज्ञापन आने के बाद दो-तीन वर्षों के तक परीक्षा ही नहीं होती है. मसलन 1.35 लाख पदों पर होने वाली रेलवे ग्रुप-डी और एनटीपीसी रेलवे की परीक्षा के विज्ञापन को जारी किये हुए 2 साल से अधिक वक्त हो चुके हैं, लेकिन अभी तक सीबीटी-1 का पहला चरण भी पूरा नहीं हो पाया है. उक्त बातें बीएनएमयू के रिसर्च स्कॉलर सारंग तनय ने कही. उन्होंने कहा कि अजीब विडंबना है कि देश में या तो भर्ती वक्त पर नहीं निकलती, निकलती है तो परीक्षा होने में समय लग जाता है, फिर प्रतियोगी स्टूडेंट्स एडमिट कार्ड से लेकर परीक्षा सेन्टर तक पहुंचने की मुसीबतों को झेलता है.
फिर कभी पेपर लीक होने की खबर आ जाती है तो कभी धांधली की. कई बार तो परीक्षा से पहले ही सारे क्वेश्चन इंटरनेट मीडिया या व्हाट्सएप/फेसबुक पर वायरल हो जाते हैं. सारंग तनय ने कहा कि हमारे देश में सरकारी नौकरियों के लिए भर्ती प्रक्रिया की जो दुर्गति है, उसका खामियाजा बेरोजगार स्टूडेंट्स/युवाओं को भुगतना पड़ता है. सरकारी नौकरियों को भर्ती प्रक्रिया में पक्षपात, रिश्वत, रसूख, सिफारिश वगैरह का बोलबाला छिपी बात नहीं है. भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता और भर्ष्टाचार की इंतिहा ने देश की शिक्षा व परीक्षा प्रणाली को मजाक बनाकर रख दिया है.
वर्तमान में रोजगार की कमी स्टूडेंट्स/युवाओं को पहले से ही बैचेन किये हुए हैं, ऊपर से चयन प्रक्रिया से उनका भरोसा भी उठ जाए तो इसके घातक नतीजे हो सकते हैं. आम लोगों में यह विश्वास या धारणा बन जाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण एवं निराशाजनक है कि बिना सिफारिश के हमारे देश में सरकारी नौकरी नहीं मिलती हैै. हालांकि, केन्दीय सेवाओं की नौकरियों के मुकाबले राज्यों के भर्ती आयोगों द्वारा की जाने वाली भर्ती प्रक्रियाओं में भर्ष्टाचार होने की खबरें अधिक आती हैं.
उन्होंने कहा कि एक सुझाव यह है कि नौकरियों में फर्जीवाड़ा कर के युवाओं से छल करने के लिए जिम्मेदार लोगों के लिए भी फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट(अदालतों) में मामले निपटा कर उन्हें तुरन्त कड़ा दंड देने का प्रावधान किया जाए. एक नियम यह अवश्य बनना चाहिए कि किसी भी सरकारी भर्ती के नोटिफिकेशन के साथ ही यह तय हो कि भर्ती कितने समय में पूरी होगी. सरकार यह तो कड़ाई से सुनिश्चित कर ही सकती है कि परीक्षाएं समय पर हों,और जो स्टूडेंट्स परीक्षा पास कर लेते हैं, उन्हें जल्द से जल्द नियुक्ति पत्र मिले.
आशा है कि केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स/युवाओं की मांग पर ध्यान देंगी, ताकि आगे से सृजन होने वाली शक्ति रोजगार मांगने, सरकारों के खिलाफ प्रदर्शन करने और फॉर्म भरने के बाद नौकरियों के इंतज़ार में जाया नहीं होगी.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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