वैध बंद तो अवैध शराब की तस्करी बढ़ी - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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2 अगस्त 2021

वैध बंद तो अवैध शराब की तस्करी बढ़ी

डेस्क: बिहार में पूर्ण शराबबंदी है. शराब पीने व रखने पर मुकदमा भी हो रहा है. कई को सजा भी हो चुकी है. परंतु इस धंधे में शामिल तस्कर रोज नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. स्थिति यह है कि अवैध शराब की बिक्री के लिए लोग अपने घर के आगन, भूसा घर, खेत, मोटरसाइकिल की डिक्की में ही दुकान सजी रहती है. ऑर्डर मिलते ही शराब घरों तक उपलब्ध करा दिया जाता है. खरीद से तीन गुणा अधिक तक मुनाफा होने के कारण तस्कर इस धंधे से मालामाल हो रहे हैं.

जब शराब का ऑर्डर किसी व्यक्ति द्वारा दिया जाता है तो कुछ ही देर में बाइक से या साइकिल से उनके पास शराब तस्कर एवं उनके डिलीवरी बय के द्वारा शराब पहुंच जाती है. शराब पहुंचाने वाले डिलेवरी ब्यॉय को इसके एवज में सौ से 50 रुपये तक तस्कर द्वारा दिया जाता है. जबकि हरियाणा या अन्य प्रदेश में निर्मित शराब तस्कर को चार से पांच हजार रुपये कार्टन मिल जाता है. जिसे तस्कर खुदरा व्यापारी के हाथ आठ से दस हजार रुपए कार्टन में बेचते हैं.  
और खुदरा व्यापारी उसे ग्राहकों तक ऊंची कीमत में पहुंचाते हैं. इस धंधे में कई ऐसे लोग भी हैं जो पुलिस के हत्थे अबतक नहीं चढ़े हैं. कई ऐसे कारोबारी हैं जो शराब की तस्करी कर पटना, कोलकाता समेत अन्य शहरों में मकान व जमीन तक खरीद चुके हैं. शराब की तस्करी में जुटे लोग बिहार के बाहर के गाड़ियां कम कीमत में खरीदते हैं. या फिर चोरी की बाइक को खरीद लेते हैं. इस गाड़ियों से शराब की आपूर्ति एक जगह से दूसरे जगह तक की जाती है. 

कभी अगर पुलिस इन गाड़ियों को शराब के साथ पकड़ भी लेती है तो गाड़ी मालिक के नाम व ठिकाना का पता नहीं चल पाता है. अगर चलता भी है तो ऐसे लोग या तो गाड़ी बेचने की कागजात प्रस्तुत करते हैं या फिर ये गाड़ियां चोरी की रहती है. जिस कारण तस्कर का सही पता नहीं चल पाता है. वहीं लोगों का आरोप है कि पुलिस की मिलीभगत से शराब कारोबारी दिन-रात फल-फूल रहे हैं. मधेपुरा एवं सहरसा थाना क्षेत्र के अंदर दर्जनों गांव है जहां खुलेआम शराब की बिक्री भी होती है और लोग पीकर आम दिनों की तरह सड़क पर घूमते नजर आते हैं.  
पुलिस की अनदेखी के कारण इस इलाके में शराब माफिया घर-घर शराब पहुंचाकर लाखों की कमाई कर रहे हैं. लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब पुलिस शराबबंदी कानून को लेकर सख्त है तो थाना क्षेत्र के विभिन्न गांवों में शराब कैसे और कहां से पहुंच रही है. लोगों की मानें तो कोसी का कोई भी एसा जिला नहीं है जहां शराब अवैध विक्री ना होती हो. नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे 5 (NFHS-5) की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के गांवों में 15 वर्ष से ऊपर के शराब पीने वालों की आबादी 15.8 प्रतिशत है. शराब की लत से युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है. 


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