सार्वजनिक शौचालय नहीं होने से लोगों को हो रही परेशानी - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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13 सितंबर 2021

सार्वजनिक शौचालय नहीं होने से लोगों को हो रही परेशानी

मधेपुरा: एक तरफ सरकार स्वच्छता को लेकर काफी प्रचार-प्रसार कर रही है. इसके लिए काफी रुपये भी खर्च कर रही है लेकिन शहर के चौक-चौराहों पर सुलभ शौचालय नहीं रहने के कारण लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं. शहर में नहीं है एक भी सार्वजनिक शौचालय स्वच्छता से संबंधित किसी भी योजना का असर शहर में नहीं दिख रहा है. सरकार के द्वारा जहां स्वच्छ समाज निर्माण के लिए कई बहुपयोगी कदम उठाये जा रहे हैं, वहीं उन कदमों का आंशिक असर भी शहर में नहीं देखने को मिल रहा है. चाहे वह केंद्र सरकार की स्वच्छ भारत योजना हो या मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना अंतर्गत खुले में शौच मुक्त बिहार बनाने का सपना. 
स्वछता से संबंधित किसी भी योजना का असर शहर में नहीं दिख रहा है. जहां सूबे की सरकार गांव का निरीक्षण करा ओडीएफ कराने में जुटी हुई है, वहीं शहर में एक भी व्यवस्थित सार्वजनिक शौचालय नहीं होने से यह कहा जाने लगा है कि गांवो को खुले से शौचमुक्त बनाने के साथ-साथ शहर को भी इस समस्या से निजात दिलाना होगा. शहर में इसकी व्यवस्था नहीं होने से बाजार आये लोग खुले में मूत्र विसर्जन करने के लिए मजबूर है. इस समस्या के प्रति संबंधित अधिकारी का उदासीन रवैया लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. 
बताते चलें कि शहर में बने वर्षों पहले निर्मित शौचालय लोगों के लिए इस्तेमाल के लायक नहीं होने के कारण लोग मजबूरन खुले में शौच को चले जाते हैं. शहर के लोग नगर परिषद के उदासीन रवैया के कारण गंदगी भरे माहौल में जीने को विवश हैं. शहर की सूरत तेजी से बदल रही है. पर विकास के इस दौर के बीच जिला मुख्यालय जन सुविधाओं से वंचित है. शौचालय की यहां भी जरूरत शहर के अति व्यस्ततम एरिया में शामिल मुख्य बाजार, पुरानी कचहरी चौक, कॉलेज चौक, सुभाष चौक, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, आदि क्षेत्र सबसे अधिक भीड़भाड़ वाला इलाका है. इस लिहाज से इन स्थानों पर शौचालय की आवश्यकता है.
शौचालय के अभाव में शहर के चारों ओर गंदगी का आलम है. शहर के लोगों ने जरूरत की जगह पर सुलभ शौचालय बनाने व उनके देखभाल करने की मांग उठाया है.  पुराने शौचालय खंडहर में तब्दील हो चुके हैं. वैसे तो दशकों पहले शहर में कुछ जगहों पर शौचालय का निर्माण किया गया था. पर आज जब शहर की सूरत बदली है व आबादी बढ़ी है, तब यह शौचालय लोगों के कारगर नहीं हो रहा है. सही देखभाल व मरम्मती आदि नहीं होने के कारण यह शौचालय लोगों के उपयोग के लायक नहीं रह गया है.  
मधेपुरा खबर की टीम ने जब स्थानीय लोगों से बात तो उन्होंने बताया कि शहर में एक भी शौचालय नहीं होने से सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को हो रही है, क्योंकि सार्वजनिक स्थलों पर नगर पालिका की ओर से एक भी शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया है. सार्वजनिक शौचालय नहीं होने से लोगों को शर्मिंदगी के बीच यत्र-तत्र मल-मूत्र व शौच का त्याग करना पड़ता है. शहर की इस हालत का जिम्मेदार नगर परिषद हीं है. नगर परिषद के लापरवाह रवैया के कारण शहर में आने वाले लोगों को तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है परंतु अभी तक अपनी जिम्मेदारियों का एहसास नगर परिषद को नहीं हो पाया है. जिस कारण से शहर की सूरत दिन-ब-दिन बिगड़ती चली जा रही है.
(रिपोर्ट:- मोहन कुमार) 
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