नाटक "शास्ति" में दिखाया गया पूंजीपतियों द्वारा अर्थहीन परिवार की प्रताड़ना का दर्द - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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26 सितंबर 2021

नाटक "शास्ति" में दिखाया गया पूंजीपतियों द्वारा अर्थहीन परिवार की प्रताड़ना का दर्द

बेगूसराय: आस्था वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित दो दिवसीय आस्था नाट्य रंग (राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव) के प्रथम दिन शुक्रवार की संध्या बेगूसराय आईटीआई लवहरचक रामदीरी के प्रेक्षागृह में विश्वविख्यात कवि व साहित्यकार गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की मूल रचना "शास्ति" का सफलतम नाट्य-मंचन पश्चिम बंगाल की रंग-संस्था गोबरडंगा रंगभूमि के द्वारा किया गया. ग्रामीण संस्कृति को दर्शाता यह नाटक शास्ति अर्थात "दण्ड" एक ग़रीब परिवार के आपसी तालमेल व आत्मीयतापूर्ण संबंधों को व्यक्त करता है तथा समाज के धनवानों व पूंजीपतियों द्वारा आज भी एक अर्थहीन परिवार को प्रताड़ित किया जा रहा है. 
साथ ही इस प्रस्तुति में एक पुरुष सत्तात्मक समाज के क्रूरतापूर्ण व्यवहार को स्पष्ट रूप से दिखाया गया कि देश में आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी पुरुषों द्वारा नारियों का ज़बरन शोषण व उत्पीड़न का शिकार बना कर उसकी स्वतंत्रता व बुलंद आवाज़ों को सदा के लिए ख़त्म कर देने की सज़ा दे दी जाती है. नाटक के मूल चिन्ह के रूप में 'फाँसी का फंदा सहित ताबीज़ का खुला माला' से प्रस्तुति की शुरुआत में ही निर्देशक ने स्पष्ट कर दिया कि इस प्रभावित समाज से किस तरह एक पीड़ित व्यक्ति खुद को इस बोझिल दुनिया से मुक्त होना चाहता है. 
सांस्कृतिक-चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा व साहित्यकार गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की मूल रचना का बीरु मुखोपाध्याय द्वारा बांग्ला रूपांतरित नाटक "शास्ति" का सफ़ल निर्देशन व परिकल्पना पश्चिम बंगाल के सक्रिय युवा_रंगकर्मी विधानचंद्र हल्दर ने किया. ज्ञात हों कि निर्देशक विधान राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय सिक्किम केंद्र से सत्र 2014-15 बैच के प्रशिक्षित रंगकर्मी हैं. कार्यक्रम से पूर्व आगंतुक अतिथि प्रसिद्ध रंग-निर्देशक अमित रौशन, वरिष्ठ रंगकर्मी अवधेश सिन्हा चर्चित युवा-निर्देशक प्रवीण कुमार गुंजन द्वारा दीप-प्रज्ज्वलित कर नाट्य महोत्सव का शुभारंभ किया गया तथा कवि प्रफुल्ल कुमार मिश्र, वरिष्ठ रंग-निर्देशक गणेश गौरव ने अतिथियों का स्वागत प्रतीक चिन्ह और अंग-वस्त्र से सम्मानित किया. 
नाटक के मुख्य पात्र बड़े भाई दुःखी की भूमिका में नीरज मंडल व उसकी पत्नी बड़ी बहू राधा की भूमिका में महुआ मुखर्जी और छोटा भाई छीदम के किरदार में इब्राहिम मंडल और छोटी बहू चंद्रा की भूमिका में संध्या बारुइ ने अपने प्रभावशाली अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. साथ ही मुनीम रामलोचन की भूमिका में देवाशीष सरकार तथा जमींदार के लठैत की भूमिका में सागर गाईन ने बेहतरीन अभिनय कर लोगों को ख़ूब मनोरंजित किया. वहीं कोरस की भूमिका में इशानी अख़्तरी, प्रिया बारुई, सुरैया अख़्तरी ने अपने अभिनय से नाटक की जीवंतता को बरकरार रखा.
संगीत संचालन राहुल बारुई और स्टेज मैनजमेंट दीपंकर शिल तथा रूप- सज्जा व मुख-सज्जा संध्या बारुइ एवं प्रकाश परिकल्पना विधानचंद्र हल्दर ने किया. पूरे नाट्य-प्रस्तुति को दर्शकों ने खूब सराहा. मौके पर उपस्थित ज़िले के रंगकर्मी सहित ग्रामीण दर्शकों ने पूरे कार्यक्रम की ख़ूब सराहना किए. पूरे कार्यक्रम को सफ़ल बनाने में कलाकार काजल, पूर्वी, शिवानी, भावनी कुमारी, मनोज कुमार, नवल, पार्थ और युवा रंगकर्मी अमरेश कुमार, रविरंजन उर्फ़ पंकज गौतम तथा संस्था के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार का विशेष सहयोग रहा. 

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