काव्य-संग्रह द्वय का हुआ भव्य लोकार्पण - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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21 अक्तूबर 2021

काव्य-संग्रह द्वय का हुआ भव्य लोकार्पण

मधेपुरा: नवोदित साहित्यकार व प्रवक्ता हिन्दी(अटल उत्कृष्ट रा. इ. का. नौगाँवखाल में कार्यरत) रोशन बलूनी द्वारा रचित काव्यसंग्रह द्वय "ऐ वतन" तथा " मैं शैलों की आवाज मुखर हूँ" का भव्य लोकार्पण समारोह साहित्यिक संस्था साहित्याँचल तथा अन्तर्राष्ट्रीय संस्था हिन्दी साहित्य भारती के संयुक्त तत्त्वावधान में संपन्न हुआ. लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि स्वामी सत्यपाल ब्रह्मचारी महाराज संस्थापक श्री राधाकृष्ण धाम हरिद्वार ने किया. वर्चुवल उद्बोधन में उन्होंने कहा कि "ऐ वतन" और "मैं शैलों की आवाज मुखर हूँ" दोनों पुस्तकें युवाओं के लिए प्रेरणा का कार्य करेगी.  
भौतिक रूप से उपस्थित साहित्यिक मंच के अध्यक्ष श्री सत्यप्रकाश थपलियाल ने साहित्य को समाज की धुरी बताया. अतिविशिष्ट अतिथि सह प्रख्यात लेखिका डॉ. कविता भट्ट "शैलपुत्री", रिसर्च एसोसिएट हे. न. ग. वि. विद्यालय ने अपने उद्बोधन में कहा कि श्री रोशन बालूनी को दोनों किताबों में से एक राष्ट्र के प्रहरी सैनिकों को समर्पित काव्यसंग्रह है, जिसमें यथार्थ राष्ट्रवाद स्पष्ट दिखाई पड़ता है. तो दूसरे काव्य संग्रह में उत्तराखण्ड का प्रतिनिधित्व करता हुआ एक युवा कवि समाज के सभी पहलुओं पर बात कर रहा है. 

पौड़ी से आयी डॉ. रितु सिंह ने अपनी स्वरचित रचना "चले आओ पहाड़ों पर" को गाकर सभी को मंत्रमुग्ध किया और कवि रोशन बलूनी को उनकी नवरचनाओं के लिए बधाई दी. विशिष्ट अतिथि श्री प्रकाश कोठारी (संस्थापक एम के वी एन) ने कहा कि ये दोनों काव्य संग्रह निश्चित ही कवि को उत्तरोत्तर ऊँचाई प्रदान करेंगे और समाज के लिए नवजागरण का काम करेंगे। "ऐ वतन की समीक्षा करते हुए हरिद्वार से डा. कुलदीप पंत ने कहा कि राष्ट्र और राष्ट्रनायकों, सैनिकों को कवि ने काव्य विषय बनाकर उन्हें समर्पित किया है. चन्द्र मिशन, बालाकोट, योग, अटल आदर्श, जैसी कविताएँ राष्ट्रभक्ति की द्योतक हैं.  
दूसरी पुस्तक "मैं शैलों की आवाज मुखर हूँ " की समीक्षा करते हुए डॉ. दिवाकर बेनी एसोसिएट प्रोफेसर ने कहा कि कवि ने यथार्थ को सामने रखकर कविता को अपना विषय बनाया. "क्यों आग लगाते हो!, कन्या भ्रूण हत्या, काश मैं लडकी ही होती, किसान, पर्यावरण, मैं हूँ डाली जैसी कविताएँ आज की जरुरत हैं. जिससे लोगों में पर्यावरण संरक्षण का भाव उत्पन्न हो. जिनमें अभिधा, लक्षणा, व्यंजना शक्ति का और रसनिष्पत्ति स्पष्टतया दिखाई पड़ती है. कवि का जीवन परिचय शिक्षक व धाद के अध्यक्ष श्री पंकज ध्यानी जी ने पढ़ा. 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. नंदकिशोर ढौंढियाल "अरुण" जी ने कहा कि नव साहित्य लेखन में रसनिष्पत्ति के साथ - साथ साधारणीकरण भी नितांत जरुरी है जो कि रोशन बलूनी के दोनों काव्यसंग्रहों में स्पष्ट दिखाई पड़ता है. नवगीत गीतिका, संस्कृत हिन्दी के छंद व छंदमुक्त रचनाओं से सुसज्जित इन दोनों रचनाओं के लिए कवि साधुवाद के पात्र हैं. कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार चक्रधर शर्मा कमलेश ने रोशन बलूनी की पुस्तकों की सराहना करते हुए कहा कि इस युवा ने दिखाया कि समय का सम्यक् सदुपयोग कैसे किया जाना चाहिए. यह युवाओं के लिए एक सीख है.  
कार्यक्रम में नायब सूबेदार दिनेश बलूनी, हरिसिंह भंडारी, पुष्कर सिंह नेगी, राजेश खत्री, प्रकाश केष्टवाल, सोहन बलूनी, विकास देवरानी, सोमप्रकाश कंडवाल, डॉ. विश्वक्सेन, प्रमोद बलूनी, डॉ. मंजू कपरवाण, चंचल बलूनी, जशोदा बुडाकोटी सहित अन्य प्रबुद्धजन उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन साहित्याँचल के अध्यक्ष जनार्दन बुडाकोटी एवं पंकज ध्यानी ने संयुक्त रुप से किया.
(रिपोर्ट:- ईमेल) 
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