सिंडिकेट बैठक में सदस्यों के आक्रोश ने खोल दी बीएनएमयू पदाधिकारियों के मनमानी की पोल - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

Home Top Ad

Post Top Ad

9 मई 2022

सिंडिकेट बैठक में सदस्यों के आक्रोश ने खोल दी बीएनएमयू पदाधिकारियों के मनमानी की पोल

मधेपुरा: शनिवार को बीएनएमयू केंद्रीय पुस्तकालय में हुई सिंडिकेट बैठक में पदाधिकारियों की मनमानी के खिलाफ सदस्यों के आक्रोश के कारण बैठक को बीच में स्थगित किए जाने पर छात्र संगठन एआईएसएफ ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. संगठन के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि विश्वविद्यालय में अराजकता फैलाए बैठे पदाधिकारियों द्वारा सर्वोच्च सदन के फैसलों को पूरा करने में गम्भीर नहीं होना बैठक पूरा नहीं चल पाने का कारण बना. अगर पूर्व के फैसले को समय पर पूरा कर लिया गया होता तो विरोध व विवाद की जगह यह बैठक नए फैसलों के साथ बीएनएमयू को आगे ले जाने वाला होता. छात्र नेता राठौर ने कहा कि पिछली बैठक में एक महीने बाद बैठक का निर्णय था जबकि बैठक दो माह बाद हुई ऐसे में भी निर्णयों का पूरा नहीं होना पदाधिकारियों के मनमानी को दर्शाता है. 

ऐसे पदाधिकारियों को चिन्हित कर कारवाई करते हुए अविलंब सभी फैसलों को मूर्त रूप दे सिंडिकेट की अगली बैठक बुलाई जाए. बैठक से पहले यह हर हाल में सुनिश्चित हो कि पूर्व के सारे निर्णयों का अनुपालन हो जिससे सदन उसपर सहमति देते हुए आगे के एजेंडे पर बहस व निर्णय ले सके. विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली दफा साल भर की जगह दो माह बाद हो रही सिंडिकेट बैठक ने पदाधिकारियों की मनमानी व सदन के निर्णयों के गम्भीरता से नहीं लेने की पोल पट्टी खोल दी. वाम छात्र नेता ने सदन में खुलकर प्रशासनिक लचर व्यवस्था व मनमानी का विरोध करने वाले सदस्यों का आभार व्यक्त किया और कहा कि लंबे अरसे बाद बीएनएमयू में लगा कि सदन सच को सच कहने के आक्रमक मूड में था. 

अगली सिंडिकेट बैठक को राठौर ने अत्यावश्यक बताते हुए कहा कि बैठक जितनी जल्द होगी उतने जल्द ही दो वर्ष पूर्व कार्यकाल पूरा कर चुके सीनेट, सिंडिकेट चुनाव के रास्ते खुलेंगे व बीएनएमयू को आगे ले जाने के महत्वपूर्ण फैसलों पर मोहर लगेगी. बैठक में हंगामा, विरोध, बहिष्कार, बिना एजेंडे पर बहस के ही बैठक स्थगित किया जाना खबरों में छाया रहा दूसरी ओर कुलपति द्वारा समयाभाव के कारण देर शाम बैठक खत्म की बात करना अपने आप में हास्यास्पद है. 
(रिपोर्ट:- ईमेल) 
पब्लिसिटी के लिए नहीं पब्लिक के लिए काम करना ही पत्रकारिता है....

Post Bottom Ad

Pages