छातापुर: डहरिया स्थित विषहरी स्थान में वन महोत्सव के शुरुआत के अवसर पर वृक्षा रोपन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. डहरिया के मुखिया संजीत चौधरी के नेतृत्व में आयोजित वृक्षा रोपन के इस कार्यक्रम में स्थानीय आमजन, जनप्रतिनिधि, शिक्षाविद, छात्राएं समेत पर्यावरण आंदोलन के सदस्यगण शामिल हुए. वृक्षा रोपन कार्यक्रम के बाद शामिल लोगों ने समय समय पर वृक्षा रोपन करने व उनकी देखभाल नियमित रूप से करने का संकल्प लिया. इसके साथ ही वन महोत्सव पर अपनी बात करने हुए छातापुर के पर्यावरण सांसद सह ट्री मेन राम प्रकाश रवि ने कहा कि वृक्ष महोत्सव जो "वन महोत्सव" के नाम से प्रसिद्ध है एक जुलाई से 7 जुलाई तक चलने वाला पर्यावरण प्रेमियों का उल्लासिक त्योहार है.
इस त्यौहार के प्रथम दिन छातापुर प्रखंड के डहरिया पंचायत स्थित विषहरा स्थान में पर्यावरण सांसद रामप्रकाश के द्वारा पंचायत के मुखिया संजीत चौधरी के हाथों नीम, आंवला ,कटहल के पौधारोपण के साथ- साथ बच्चों में पौधा वितरण का कार्य किया गया। वही उपस्थित मुखिया श्री चौधरी ने कहा कि पेड़ मानव जीवन का आधार है. इसे लगाने और बचाने के लिए हर व्यक्ति को प्रयास करना चाहिए. उपस्थित शिक्षाविद् हरे राम पाण्डेय वन महोत्सव के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि इसकी शुरुआत 1950 ई में तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री के एम मुंशी एक बार के उपाय के रूप में नहीं बल्कि हर साल इसे एक त्यौहार के रूप में मनाने के इरादे से की थी.
वन महोत्सव के दौरान राज्य सरकार और नागरिक निकायों द्वारा विभिन्न स्कूलों कॉलेजों एनजीओ और कार्यालयों में पौधों की आपूर्ति की जाती है. इसे जीवन का त्योहार भी कहा जाता है. यह कुछ उद्देश्यों की पूर्ति हेतु शुरू किया गया था जैसे फलों का उत्पादन बढ़ाना, मवेशियों के लिए चारा उपलब्ध कराना, मिट्टी संरक्षण को बढ़ावा देना, कृषि क्षेत्रों के लिए आश्रय बेहतर बनाने में मदद करना आदि है. कहा कि इस दौरान देसी पौधे लगाए जाते हैं क्योंकि मौजूदा जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल आसानी से हो सकते हैं. जुलाई के पहले सप्ताह के आस पास भारत में मॉनसून आते हैं. यह इस त्यौहार के लिए एक आदर्श समय है, क्योंकि इस समय पौधों की जीवित रहने की दर वर्ष के किसी भी अन्य समय की तुलना में अधिक है. पेड़ धरती पर जीवो के जीवित रहने का स्रोत है.
कहा कि पेड़ पौधे हमें ऑक्सीजन, फल, औषधि एवं हमारे आस पास की हवा को साफ करते है. इसके साथ ही यह वर्षा कराने में सहायक होता है. कहा पीपल, बरगद, नीम और तुलसी के पौधा दिन में ही नहीं रात में भी ऑक्सीजन छोड़ते हैं. बीबीसी साइंस फोकस पत्रिका के अनुसार एक इंसान हर साल 740 किलोग्राम ऑक्सीजन लेता है जो मोटे तौर पर 7 या 8 पेड़ों के बराबर होती है. पेड़ वातावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण कर ऑक्सीजन देने के साथ वातावरण को ठंडा करने में सहायक होता है पेड़ मानसिक थकान को कम कर सकारात्मक भावना को जागृत करते हैं. बताया कि धरती सिर्फ हमारा घर ही नहीं है बल्कि समस्त छोटे बड़े जीवो का घर है इनका जीवन भी मानव जीवन से कम महत्वपूर्ण नहीं है. कहा कि आज मनुष्य अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए तेजी से पेड़ों की कटाई कर रहे हैं.
नए फैक्ट्री एवं शहर के बसावटों के लिए जंगल को काटा जा रहा है. बढ़ती जनसंख्या जंगलों के विनाश का प्रमुख कारण बन रहा है. इसके चलते भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व में ग्लोबल वार्मिंग की समस्या खतरनाक हो चली है. बहुत सारे पशु पक्षी विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने के कगार पर हैं. जिससे पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है. धरती को ग्लोबल वार्मिंग के खतरे से बचाने हेतु जनसंख्या नियंत्रण के साथ पेड़ों की कटाई रोकने एवं नए पेड़ पौधे लगाने की अत्यंत आवश्यकता है. मौके पर वैद्यनाथ यादव, सेवानिवृत्त शिक्षक नरेंद्र चौधरी, अरुण कुमार, साक्षी कुमारी, अरविंद यादव, उप मुखिया अनारकली देवी सहित दर्जनों बच्चे उपस्थित थे.
(रिपोर्ट:- संजय कुमार भगत)
पब्लिसिटी के लिए नहीं पब्लिक के लिए काम करना ही पत्रकारिता है....