एचएस काॅलेज के प्रिंसिपल पर लगे आरोप पर कुलपति से मिला परिषद कार्यकर्ता - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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10 अप्रैल 2021

एचएस काॅलेज के प्रिंसिपल पर लगे आरोप पर कुलपति से मिला परिषद कार्यकर्ता

मधेपुरा: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों ने भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आरकेपी रमण से मिलकर  हरिहर साहा महाविद्यालय उदाकिशुनगंज के विभिन्न मुद्दों पर ध्यान आकृष्ट करवाया. दिए गए आवेदन में उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से मंडल विश्वविद्यालय के अंगीभूत इकाई हरिहर साहा महाविद्यालय उदाकिशुनगंज में शैक्षणिक माहौल बिगाड़ने तथा महाविद्यालय के विकास को अवरुद्ध करने के साथ-साथ महाविद्यालय की गरिमा व छवि को धूमिल करने का प्रयत्न विकृत मानसिकता के लोगों तथा महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य की मिली भगत से कई शिक्षा माफिया जो हरिहर साह महाविद्यालय को बंद कराकर निजी महाविद्यालय को लाभ पहुंचाना चाहते हैं, उनके इशारे पर किया जा रहा है जिसमें विश्वविद्यालय स्तर के कई पदाधिकारी एवं प्राध्यापक भी शामिल है. 

परिषद कार्यकर्ताओं ने कुलपति को दिये आवेदन में कहा कि हरिहर साहा महाविद्यालय में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी की बिहार सरकार द्वारा केवल 9 पद सृजित हैं जिसमें 6 नियमित कर्मचारी कार्यरत है, बांकी केवल बचे हुए 3 पद पर से 1 पर संविदा कर्मी के रूप में अजय कुमार वर्ष 2004 से ही नियुक्त हैं जिनका विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदन भी प्राप्त हैै. बाकी बचे 02 पद में से एक पद पर रात्रि प्रहरी के रूप में शंभू पासवान संविदा कर्मी के रूप में नियुक्त हैं. इसके बाद केवल एक पद जो शेष रह जाता है उस 01 पद के विरुद्ध 7 लोगों की अवैध रूप से संविदा कर्मी के रूप में नियुक्ति पूर्व प्राचार्य के द्वारा किया गया है.  
अब प्रश्न यह है कि केवल एक पद के विरुद्ध 7 लोगों की संविदा कर्मी के रूप में नियुक्ति करना क्या महाविद्यालय के राशि का अपने चहेते लोगों में बंदरबांट करना नहीं है? क्या एक पद के विरुद्ध 7 लोगों की नियुक्ति अवैध नहीं माना जाए? जबकि संविदा कर्मी के रूप में भी उतने ही लोगों की नियुक्ति हो सकती है जितने पद सृजित एवं पद रिक्त हैं. विश्वविद्यालय द्वारा पत्रांक GS (A- 4 -170/2007)1497/17 दिनांक 12 /12/ 2017 एवं ज्ञापांक GS A-4- 170/07-941/18 दिनांक 17/ 7/ 2018 को कुलसचिव के हस्ताक्षर से अधिसूचना सभी प्रचार्य / विभागाध्यक्ष को जारी है कि कार्यालय एवं विभागों में जिन्हें विश्वविद्यालय द्वारा अधिकृत ही प्राप्त ना हो वैसे व्यक्ति से कार्यालय कार्य न कराया जाए. 

अगर ऐसा पाया जाता है तो सारी जिम्मेदारी संबंधित पदाधिकारी विभागाध्यक्ष /प्राचार्य की होगी तथा उन पर कार्यवाई की जाएगी. फिर इस अधिसूचना का उल्लंघन करते हुए प्राचार्य ने हिना कुमारी, मोनिका कुमारी समेत अन्य संविदा कर्मी की नियुक्ति किस आधार पर बिना विश्वविद्यालय से अधिकृति प्राप्त किए हुए की है? क्या विश्वविद्यालय के इधर अधिसूचना के उल्लंघन करने के लिए पूर्व प्राचार्य दोषी नहीं माने जाएंगे? क्या विश्वविद्यालय अधिसूचना के उल्लंघन करने पर उन पर कार्यवाही नहीं की जाएगी? हरिहर साह महाविद्यालय के एक पूर्व प्राचार्य डॉ जगदेव प्रसाद यादव के पत्र 156- 68 /20 जो विश्वविद्यालय के कुलसचिव को संबोधित करते हुए यह उल्लेखित है कि हरिहर साह महाविद्यालय में किसी भी संविदा कर्मी का संविदा संबंधी महाविद्यालय में कोई भी साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैै.  
ना ही महिला कर्मी, ना ही किसी अन्य संविदा कर्मी. इस पत्र में उन्होंने केवल हिना कुमारी एवं मोनिका कुमारी की नोटशीट को आधार मानते हुए उनसे पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर रामानुज पासवान द्वारा नियुक्ति की बात कही एवं उस पत्र में कुलसचिव द्वारा मौखिक आदेश पर इन्हें संविदा कर्मी के रूप में कार्य कराने का आदेश का जिक्र खुद पूर्व प्राचार्य डॉ0 जगदेव यादव ने किया है. जबकि पूर्व प्राचार्य रामानुज पासवान द्वारा महाविद्यालय को स्मर पत्र जारी करते हुए कहा गया कि मैंने किसी भी महिला कर्मी की नियुक्ति संविदा पर नहीं किया है. ना ही ऐसे किसी महिला कर्मी को मैं जानता हूं. मुझ पर झूठा तथा बेबुनियाद आरोप लगाकर मेरा नाम घसीटा जा रहा है. 

अब प्रश्न यह उठता है कि हिना कुमारी एवं मोनिका कुमारी की नियुक्ति एवं संविदा कर्मी की नियुक्ति अवैध रूप से किस पूर्व प्राचार्य ने विश्वविद्यालय के द्वारा अधिसूचना की अवहेलना करते हुए की है ? क्या मौखिक आदेश पर किसी को भी संविदा कर्मी के रूप में नियुक्त किया जा सकता है? क्या मौखिक आदेश किसी भी सरकारी कार्य के लिए वैध माना जाता है? क्या मौखिक आदेश की बात जो पूर्व प्रचार डॉक्टर जगदेव प्रसाद यादव अपने पत्र में कर रहे हैं उन्हें वैध दस्तावेज माना जा सकता है? क्या इससे स्पष्ट नहीं होता है कि कुलसचिव भी इसके लिए जिम्मेदार है? जिन्होंने खुद अपने ही द्वारा जारी किए गए अधिसूचना सूचना का उल्लंघन किया है.  
मोनिका कुमारी एवं हिना कुमारी व अन्य संविदा कर्मी के रूप में जिनकी नियुक्ति सभी समर्पित दस्तावेज एवं पूर्व प्राचार्य कई पत्रों से स्पष्ट हो चुका है कि अवैध एवं फर्जी है तो फिर उन्हें किस आधार पर लॉकडाउन की अवधि में 56445 एवं ₹53795 का भुगतान महाविद्यालय के संचित निधि से किया गया ? मोनिका कुमारी एवं हिना कुमारी के भुगतान जो लॉकडाउन की अवधि में किया गया उसमें स्पष्ट उल्लेखित है कि संविदा कर्मी का कोई भी पंजी प्रधानाचार्य द्वारा अभिप्रमाणित नहीं है फिर भुगतान आखिर पूर्व प्राचार्य ने बिना विश्वविद्यालय के नियुक्ति को अनुमोदित किए हुए कैसे किया? क्या यह नहीं माना जाए कि हिना कुमारी एवं मोनिका कुमारी के तरह बांकी अन्य संविदा कर्मी जिनका कोई भी विश्वविद्यालय द्वारा नियुक्ति संबंधी पत्र नहीं है (जैसा कि पूर्व प्राचार्य डॉक्टर जगदेव प्रसाद यादव अपने पत्र संख्या 156-68/20 से स्पष्ट हो रहा है) कि भुगतान अवैध रूप से करते हुए महाविद्यालय की राशि का बंदरबांट पूर्व प्राचार्य द्वारा किया गया है ?

आखिर इन सभी की भुगतान का आधार क्या है ? इससे ऐसा स्पष्ट नहीं होता कि पूर्व प्राचार्य जिनके कार्यकाल में बिना किसी विश्वविद्यालय के आदेश के मनमाने तरीके से महाविद्यालय की राशि को बंदरबांट किया गया है उसके कार्यकाल की जांच विजिलेंस से कराई जाए? उन्होंने अवगत कराते हुए कहा कि सभी पूर्व प्राचार्य डॉ जगदीश प्रसाद यादव, पूर्व प्राचार्य बीएन विवेका के कार्यकाल की विजिलेंस से जांच कराने की मांग करती है तथा सभी अवैध रूप से बिना विश्वविद्यालय के अधिकृति के कार्य कर रहे संविदा कर्मी को हटाने एवं उन्हें भुगतान की गई राशि जिन्हें पूर्व प्राचार्य के द्वारा महाविद्यालय को से दिया गया है, उनसे राशि वसूलते हुए उन पर कानूनी कार्रवाई की मांग करती हैै.  
साथ ही साथ अभाविप एच एस कॉलेज में कार्यरत सभी कर्मियों की तरफ से आपको दिए गए त्राहिमाम संदेश के आलोक में वर्तमान प्राचार्य डॉ. रामनरेश सिंह जिनके कार्यकाल में महाविद्यालय विकास की ओर अग्रसर हो रहा है उनके ऊपर लगे निराधार, तथ्य हीन, भ्रामक तथा दुर्भावना से प्रेरित होकर लगाए गए आरोपों की निष्पक्ष तरीके से जांच की मांग करती है, ताकि महाविद्यालय में शैक्षणिक गतिविधि एवं विकास का कार्य सतत रूप से अग्रसर होते रहे. कुलपति से मिलने वालों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सुजीत सान्याल, सीनेट सदस्य रंजन यादव, दिलीप दिल, अमोद आनंद व अन्य मौजूद थे. 


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