आसान बने रेजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया: सारंग - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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28 मई 2021

आसान बने रेजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया: सारंग

मधेपुरा: रिसर्च स्कॉलर, बीएनएमयू मधेपुरा के सारंग तनय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि केन्द्र सरकार को देश में टीकाकरण की प्रक्रिया को बेहद तेज व सरल करने के लिए जल्द से जल्द युद्ध स्तर पर कारगर रणनीति बनानी होगी. वर्तमान में टीकाकरण की प्रक्रिया बहुत धीमी और जटिल है. उन्होंने कहा कि टीकाकरण के लिए कोविन प्लेटफार्म के मोबाइल पर एप्प के माध्यम से रेजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए आसानी से शहरी क्षेत्रों में ही ओटीपी नहीं आ पाता है, तो ग्रामीण क्षेत्रों की क्या स्थिति होगी. 

रेजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया के समय अगर आपका ओटीपी आ भी जाए और आसानी से नाम भी जुड़ जाए तो टिका लगवाने के लिए अपना स्लॉट, समय, बुक करवाने में लोगों के छक्के/पसीने छूट जाते हैं. लगातार प्रयास से समय भी मिल जाए तो धरातल पर टीकाकरण केंद्र को ढूढ़ना बहुत जटिल प्रक्रिया है, क्योंकि वेबसाइट पर अधिकांश टीकाकरण केन्द्रों का पूरा पता नहीं दिया गया है. सबसे गंभीर समस्या तो तब शुरू होती है जब कई बार टीकाकरण केंद्र पर भी पहुँचने पर पता चलता है कि यह टीकाकरण केंद तो पिछले कई दिनों से खुला ही नहीं है या केंद्र पर वैक्सीन उपलब्ध ही नहीं है.  
सरकार को इस तरह की सभी गंभीर समस्या की तरफ तत्काल ध्यान देना होगा, क्योंकि जो व्यक्ति लॉकडाउन के नियमों का पूर्ण ईमानदारी से घर में रहकर पालन कर रहा था, वो सिस्टम की इस लापरवाही भरी प्रक्रिया में कोरोना वायरस की चपेट में आकर संक्रमित हो सकता हैै. वैसे अगर सरकार वास्तव में देश को जल्द से जल्द कोरोना से मुक्त करना चाहती है तो उसको पोलियो बीमारी के टीके की तरह कोरोना के टीकाकरण के कार्यक्रम को सरल व तेज बनाना होगा. सारंग तनय ने कहा कि 20 राज्यों ने फ्री वेक्सीनेशन की घोषणा तो कर दी है लेकिन राज्यों को इंटरनेशनल मार्केट से वैक्सीन खरीदने का अनुभव नहीं है. 

1960 से ही यह काम केंद्र सरकार कर रही है. राज्यो के अलग-अलग टेंडर से कम्पनियां मनमाना दाम वसूलेगी. यूपी, बिहार जैसे कुछ राज्यों का हैल्थ बजट दूसरे राज्यों की तुलना में कम है. राज्य लागत कैसे उठा पाएंगे? वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी 2021 में पेश आम बजट में टीकाकरण के लिए 35 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया. अब तक क्लियर नहीं है कि राज्यों को अनुदान(सब्सिडी) देंगे या कर्ज? सारंग तनय ने कहा कि केन्द्र व राज्यों को एक प्लेटफॉर्म पर वैक्सीन की उपलब्धता के लिए काम काम करना होगा. कम्पनी भारतीय हो या बाहर की, एक कीमत की बात हो और राज्यों को जरूरत के हिसाब से वैक्सीन मिलें.  
राज्य आपस में प्रतिस्पर्धा करेंगे तो बहुत खराब स्थिति बनेगी. फायदा केवल वैक्सीन निर्माताओं को होगा. उन्होंने कहा कि अब तक सभी टीकाकरण कार्यक्रम केंद्र सरकार ही चलाता था. कभी कमी पड़ती तो यूनिसेफ से मदद लेते थे. राज्यों को वैक्सीन खरीदने के लिए नहीं कह सकते. टीकाकरण के लिए रजिस्ट्रेशन और स्लॉट बुक करने की प्रक्रिया सरल बनाई जाए, ताकि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले सामान्य पढ़े-लिखे लोग भी सरलता से इस कार्य को अंजाम दे सके. 
(रिपोर्ट:- ईमेल) 
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