कुष्ठ अब लाइलाज नहीं, लक्षणों की पहचान जरूरी - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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25 सितंबर 2021

कुष्ठ अब लाइलाज नहीं, लक्षणों की पहचान जरूरी

सहरसा: जिले को कुष्ठ रोग से मुक्त करने के लिए अभियान चलाकर कुष्ठ रोगियों की खोज की जाती रही है. अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डा. किशोर कुमार मधुप ने बताया जिले में कुष्ठ रोगियों के लिए आसान इलाज की उपलब्धता सुनिश्चित करना एवं कुष्ठ के बारे में फैली भ्रांतियों को दूर करना बहुत जरूरी है. कुष्ठ रोग किसी के छूने से नहीं फैलता है. समाज द्वारा कुष्ठ रोगियों को तिरस्कार की भावना से नहीं देखना चाहिए। इस तिरस्कार की भावना की वजह से ही लोग कुष्ठ रोग को छिपाने के लिए मजबूर हो जाते हैं. इसके लिए जरूरी है कि लोगों में कुष्ठ रोग के प्रति फैली भ्रांतियों की दीवार को पहले तोड़ी जाय. 
लोग यह जान लें कि कुष्ठ छूने से नहीं फैलता है, कभी कुष्ठ रोगियों को तिरस्कार की भावना से न देखें. समय रहते इस रोग का इलाज करवायें. इसका इलाज सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर बिलकुल मुफ्त किया जाता है. सरकार द्वारा गंभीर रूप से ग्रसित कुष्ठ रोगियों के लिए आर्थिक मदद भी दी जाती है. उनके लिए जरूरी सभी प्रकार के साधन सरकार द्वारा मुफ्त में उपलब्ध करवाये जाते हैं. अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डा. किशोर कुमार मधुप ने बताया कुष्ठ एक माइक्रो बैक्टीरिया जनित बीमारी है. इससे सम्बंधित सभी दवाएं जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर कुष्ठ रोगियों को मुफ्त में प्रदान की जाती है. 
उन्होंने बताया एमबीटी जिसे हम मल्टीबेसलरी ट्रीटमेंट भी कहते हैं इसके द्वारा भी कुष्ठ रोगियों का इलाज किया जाता है. इस पद्धति में रोगियों को 12 महीनों तक दवा खिलायी जाती है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा बीमारी की विभिन्न अवस्थाओं के अनुरूप खुराक निर्धारित करते हुए अलग-अलग पैकटों में जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर बिलकुल मुफ्त वितरित की जाती है. अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डा. किशोर कुमार मधुप ने बताया कुष्ठ के जीवाणु अत्यंत धीमी गति से विकसित होते हैं. इस कारण इनकी पहचान होने में चार से पाँच साल का समय लग जाता है. इसके शुरुआती लक्षणों जैसे शरीर पर लाल बदरंग या तंबिया रंग का धब्बा जिसमें सूनापन हो, दाग धब्बे पर पसीना का नहीं आना या बाल का नहीं आना, हाथ -पैर की नसों में झनझनाहट का होना आदि हैं. 
ऐसी स्थिति में परीक्षण कर अपना इलाज यथाशीघ्र आरंभ कर देने से इसके गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है. अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डा. किशोर कुमार मधुप ने बताया एमबीटी से ग्रस्त कुष्ठ रोगियों में विकलांगता की स्थिति आने पर सरकार द्वारा उनको आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाता है. इसके अलावा कुष्ठ रोगियों को स्वयं से अपनी देखभाल करने के लिए सेल्फ केयर किट भी सरकार द्वारा मुफ्त में प्रदान की जाती है.
(रिपोर्ट:- रामानंद कुमार)
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