विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कुलसचिव के ठिकानों पर विजिलेंस का छापा - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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17 नवंबर 2021

विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कुलसचिव के ठिकानों पर विजिलेंस का छापा

डेस्क: बिहार में एक बार फिर शिक्षा का मंदिर कलंकित हुआ है जिसके जिम्मेदार सर्वोच्च शिक्षण संस्थान विश्वविद्यालय के सबसे बड़े पदाधिकारी कुलपति हैं. मामला मगध विश्वविद्यालय का है जिसके कुलपति प्रो राजेन्द्र प्रसाद के ठिकानों पर स्पेशल विजिलेंस की टीम छापामारी कर रही है. कार्रवाई जद में एक विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार भी हैं. पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार जितेंद्र कुमार के ठिकानों पर भी स्पेशल विजिलेंस का छापा चल रहा है. मामला अवैध खरीददारी और फायदा पहुंचाने के लिए रिश्तेदारों की एजेंसी को काम देने का है. राजेन्द्र प्रसाद पर बीस करोड़ की अवैध खरीद का मामला उगाजर हुआ है. 

प्रो. राजेंद्र प्रसाद समेत तीन के खिलाफ अनियमितता के मामले में स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने आईपीसी की धारा 120बी, 420 और आर डब्लू के सेक्शन 12,13 और 13बी के साथ साथ पीसी ऐक्ट 1988 के तहत केस दर्ज करवाया है. इसी के तहत कार्रवाई करते हुए स्पेशल विजिलेंस की तीन टीम काम कर रही है. कुलपति के यूपी के गोरखपुर स्थित उनके पैतृक आवास पर छापेमारी की जा रही है. इसके साथ ही बोधगया में 2 ठिकानों पर भी छापेमारी की गई है. बोधगया में स्थित आवास और कार्यालय पर भी रेड डाला गया है. विजिलेंस विभाग के एडीजी नैयर हसनैन खां ने बताया है कि पटना की स्पेशल निगरानी टीम ने फरवरी 2021 में एक कांड दर्ज किया था.  
इस के तहत बोधगया के मगध विवि के कुलपति राजेन्द्र प्रसाद, कुलपति के नीजी सचिव सह असिस्टेंट सुबोध कुमार, लखनऊ की एक प्रिंटिंग कंपनी पूर्वा ग्राफिक्स एन्ड ऑफसेट, एक्सएलआईसीटी सॉफ्टवेयर, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के फाइनेंस अ़फसर ओमप्रकाश सिंह तथा पाटलिपुत्रा विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार जीतेन्द्र कुमार के खिलाफ कांड दर्ज किया गया. इसी केस में मगध विवि के कुलपति के खिलाफ निगरानी कोर्ट से सर्च का आदेश मिला था जिसके आधार पर यह कार्रवाई हो रही है. विशेष निगरानी विभाग की इस कार्रवाई से मगध विश्वविद्यालय के अधिकारियों एवं कर्मियों में हड़कंप मंच गया है. 

इससे पहले भी मगध विवि के कई कुलपतियों एवं अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है. चर्चा है कि इस कार्रवाई में कई अन्य सफेदपोष लोगों के नाम आ सकते हैं. विश्वविद्यालय के अन्य कर्मी और पदाधिकारी भी फंस सकते हैं. 
(सोर्स:- हिंदुस्तान) 
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