मधेपुरा: विगत कुछ माह में बीएनएमयू कुलसचिव द्वारा जारी अधिसूचना व पत्रों में लगातार उजागर हो रही गलतियां कुलसचिव के पद की गरिमा पर सवाल खड़ा कर रही है।छात्र संगठन एआईएसएफ के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने इस पर चिंता जताते हुए इसे विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को हल्का करना बताया. छात्र नेता राठौर ने कहा कि अकाध गलतियां सबसे होती हैं लेकिन पहली बार देखा जा रहा है कि कुछ महीनों के अंदर वर्तमान कुलसचिव द्वारा जारी पत्र में कई कमियां सामने आ रही है जिससे सवाल उठता है कि वह अपने काम के प्रति गंभीर नहीं हैं अथवा नशे के शिकार हैं क्योंकि ऐसी गलतियां इन्हीं हालातों में सम्भव है.
विगत सीनेट की बैठक की सूचना हेतु प्रो जवाहर पासवान को टी पी कॉलेज की जगह एस एन एस के कॉलेज सहरसा का प्रोफेसर बताना,भूपेंद्र बाबू की जयंती को पुण्यतिथि कहना, एम एल टी कॉलेज व एच एस कॉलेज में उपजे प्रकरण से दो माह पहले ही बैठक व जांच का आदेश जारी करने, मई में घोषित आगामी सिंडिकेट बैठक को लेकर मात्र पांच दिनों के अंदर जारी दो पत्रों में तारीखों के अंतर की चर्चा अभी शांत भी नहीं हुई कि 6 मई को कुलसचिव द्वारा जारी पत्र में नई शिक्षा नीति के तहत नैक से मान्यता हेतु गतिविधि के लिए गठित मॉनिटरिंग सेल के सदस्यों को जारी अधिसूचना में 17 मई की अभिषद की बैठक के निर्णय अनुसार सेल गठन की बात कही गई है.
छात्र नेता राठौर ने कहा कि घटना से पहले जांच कमिटी बनाने की घटना कम थी कि प्रस्तुत तिथि से 11 दिन पहले की तिथि में ही अधिसूचना जारी हो जाता है. यह अपने आप में कई सवाल है कि जो तिथि अभी आई ही नहीं उसमें बैठक और निर्णय कैसे हो गए. उच्च शिक्षा के सर्वोच्च परिसर में इस तरह की गलतियां बहुत दुखद है वरीय पदाधिकारियों द्वारा जारी पत्रों, सूचनाओं अथवा अधिसूचना ओं को पूरी जांच पड़ताल के बाद ही जारी करना चाहिए. अन्यथा इससे विश्वविद्यालय की छवि को आघात ही नहीं पहुंचता बल्कि उक्त पदाधिकारी की योग्यता भी संदेह के घेरे में आती है।एक पदाधिकारी द्वारा ही लगातार गलतियां मानवीय भूल नहीं मानी जा सकती इस पर कुलपति को गंभीर होना चाहिए.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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