उन्होंने बताया कि डॉ. यादव भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय अंतर्गत संचालित साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के मैथिली परामर्शदात्री समिति के सदस्य तथा अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे हैं. इनकी पुस्तक भारत दुर्दशा एवं मिथिला नाटक तुलनात्मक भारत दुर्दशा एवं मिथिला नाटक: तुलनात्मक काफी चर्चित है. इनके निर्देशन में एक दर्जन से अधिक शोधार्थियों ने पीएच. डी. उपाधि प्राप्त की है. उन्होंने बताया कि डॉ. यादव अनवरत साहित्य साधना में मन वचन एवं कम से संलग्न हैं। विभिन्न प्रशासनिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए भी उन्होंने कभी भी सरस्वती की आराधना नहीं छोड़ी. खासकर ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय के प्रधानाचार्य के रूप में उन्होंने शैक्षणिक उन्नयन में काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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