मधेपुरा: अपनी स्थापना को तीन दशक पूरा करने जा रहे बीएनएमयू में अब तक समृद्ध शैक्षणिक माहौल नहीं बनाया जा सका उपलब्धि से कई गुना अधिक विवादों को लेकर चर्चित रहने वाले बीएनएमयू में अब राजभवन के निर्देश व कुलपति के आदेश पूरी तरह हाथी के दांत साबित हो रहे हैं अफसरशाही और लाल फिताशही चरम पर है जिसके कारण छात्रों का भविष्य हमेशा दांव पर लगता रहता है.
उक्त बातें वाम छात्र संगठन एआईएसएफ के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कही. उन्होंने कहा कि बिना आंदोलन और चेतावनी के विश्वविद्यालय एक पग भी आगे नहीं बढ़ता जो दुखद है. छात्र संगठनों के लगातार संघर्ष के बाद कई वर्षों बाद 2019 में हुई पैट परीक्षा के डेढ़ साल से ज्यादा गुजर जाने के बाद भी पीजीआरसी नहीं होना इसका प्रमाण है जबकि इस संदर्भ में कुलपति के आदेश से कुलसचिव ने ग्यारह जनवरी को होने वाली सीनेट की बैठक से पहले दस जनवरी तक डीआरसी करा रिपोर्ट जमा करने का आदेश जारी किया था जिससे सीनेट की बैठक में अनुमोदन लिया जा सके.
सीनेट की बैठक के डेढ़ माह गुजर जाने के बाद रिपोर्ट होना तो दूर डीआरसी भी कई विभागों का सम्पन्न नहीं हुआ है जो दर्शाता है कि कुलपति के निर्देश हवा हवाई साबित हो रहे हैंं. छात्र नेता राठौर ने कहा कि पीजीआरसी और रजिस्ट्रेशन हुए बिना शोध कि प्रकिया आगे नहीं बढ़ सकती. इस संदर्भ में कुछ दिन पहले कुलपति ने फ़रवरी के अंत तक पीजीआरसी कराने का आश्वासन दिया था जो सफल नहीं रहा.
ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि जब विश्वविद्यालय में कुलपति के आदेश निर्देश ही आधारहीन साबित हो रहें हैं तो फिर दूसरों की क्या? इतना ही नहीं, 2019 में हुई पैट परीक्षा में एक छात्र का परिणाम से ऐतराज और भौतिकी विभाग में परिवारवाद के उसके आरोप पर राजभवन ने संज्ञान लेते हुए उक्त छात्र के आरोपों कि जांच करते हुए रिपोर्ट सौंपने का आदेश विगत वर्ष के जनवरी माह में जारी किया था उसके एक साल से ज्यादा हो जाने के बाद भी बीएनएमयू प्रशासन राजभवन को रिपोर्ट सौंपना तो दूर जांच कि पहल भी शुरू नहीं कर पाया जो वरीय पदाधिकारियों की मनमानी और महामहिम कुलाधिपति के निर्देश की अवहेलना का प्रमाण है.
पैट 2020 की तारीखों का ऐलान हो चुका है और आवेदक आज भी न्याय के लिए अलग अलग कार्यालयों का ठोकर खा रहा है. छात्र नेता राठौर ने बीएनएमयू कुलपति से मांग किया कि माइक पर बदलाव कि बात करने के बजाय जमीनी पहल को अंजाम दें जिससे विश्वविद्यालय की बदनाम हो रही छवि में सुधार हो और छात्रों का भविष्य दांव पर न लगे. अगर समय रहते 2019 के पैट पास छात्रों के हित में पीजीआरसी और रजिस्ट्रेशन को तीव्र पहल नहीं की गई तो इनकी हालत भी 2012-13 के पैट पास छात्रों जैसी हो जाएगी जिन्हे डिग्री अवार्ड कराने में छह से सात साल लग गए कुछ का अभी भी नहीं हुआ हैै.
वाम छात्र नेता राठौर ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जब विश्वविद्यालय में रूटिंग वर्क को पटरी पर लाने में बीएनएमयू सफल नहीं हो पा रहा तब ऐसे में नैक से मान्यता के लिए अतिरिक्त पहल व योजनाओं को कैसे अंजाम दिया जाएगा?उन्होंने कहा कि कुलपति को चाटुकारों की चंगुल से बाहर निकल स्वतंत्र हो बीएनएमयू हित में फैसले लेने की जरूरत है जिसमें कुलपति अभी तक कामयाब नही हो सके हैंं.
उन्होंने साफ किया कि पीजीआरसी और रजिस्ट्रेशन सहित पीड़ित आवेदक छात्र की मांग को ले अगर शीघ्र पहल नहीं किया गया तो इसको लेकर भी एआईएसएफ आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने में कोताही नहीं बरतेगा.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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