डिजिटल दुनिया के दौर में पुस्तकों के अस्तित्व को जिंदा रखना बड़ी चुनौती - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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23 अप्रैल 2022

डिजिटल दुनिया के दौर में पुस्तकों के अस्तित्व को जिंदा रखना बड़ी चुनौती

मधेपुरा: विश्व पुस्तक दिवस हमें पुस्तकों के महत्व को समझने और उसकी उपयोगिता को समृद्ध करने को प्रेरित करता है।इस अवसर पर हमें पुस्तकों की दुनिया को जानने का अवसर मिलता है. उक्त बातें एआईएसएफ के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कही. उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि जिला मुख्यालय में अनगिनत शिक्षण संस्थान सहित स्थापना का तीन दशक गुजार चुका विश्वविद्यालय है लेकिन एक भी समृद्ध पुस्तकालय अदद उपलब्ध नहीं हैै. रेड क्रॉस सोसायटी के समीप जिला का सबसे पुराना केंद्रीय पुस्तकालय भूली बिसरी यादों का हिस्सा बन गया हैै. जिला प्रशासन द्वारा सजग नहीं होने के कारण जहां भवन जीर्ण सिर्न अवस्था में आ गया है वहीं अच्छी पुस्तकों व समसामयिक पत्रिकाओं का टोटा हैै. 

दूसरी तरह लगभग एक दशक पहले बना बीएनएमयू के पुराने परिसर में इस्थित केंद्रीय पुस्तकालय पुस्तकालय कम मीटिंग हॉल ज्यादा बनकर रह गया है. पुस्तकालय की अधिकांश किताबें ऐसी जो छात्रों के किसी काम कि नहीं. विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय होने के बाद भी अंग्रेजी, उर्दू के जहां दैनिक पत्र नहीं आते वहीं पत्रिकाओं की चर्चा ही न हो तो बेहतर. इच्छुक छात्रों के अध्यन के लिए जरूरी व्यवस्था भी नहीं है. सब बात से उपर अभी तक पुस्तकालय को स्थाई पुस्तकालय अध्यक्ष नहीं मिल पाया. किताबों की सूची और रख रखाव का स्तर भी संतोषजनक नहीं है.  
छात्र नेता राठौर ने कहा कि इसको लेकर विश्वविद्यालय व जिला प्रशासन को अपने अपने क्षेत्र के केंद्रीय पुस्तकालय की उपयोगिता को बढ़ाने व जरूरी सुविधा बहाल करते हुए इसे समृद्ध करने पर बल देना चाहिए. वाम छात्र संगठन दोनों पुस्तकालयों को लेकर एक योजना पर काम कर रहा है जिसका परिणाम जल्द ही आएगा. छात्र नेता राठौर ने विश्व पुस्तक दिवस की सभी पुस्तक प्रेमियों को बधाई देते हुए कहा कि सबका दायित्व है कि डिजिटल दुनिया में पुस्तकों के औचित्य को जीवंत बनाने के साथ समृद्ध करने पर भी बल दे. 
(रिपोर्ट:- ईमेल) 
पब्लिसिटी के लिए नहीं पब्लिक के लिए काम करना ही पत्रकारिता है....

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