मुरलीगंज: विगत कुछ महीनों में बीएनएमयू द्वारा जारी पत्र, खबरों, अधिसूचना में उजागर हुई लगातार त्रुटियों की चर्चा अभी थमी ही नहीं कि मई में घोषित आगामी सिंडिकेट बैठक को लेकर मात्र पांच दिनों के अंदर जारी दो पत्रों में अंतर सामने आया हैै. वाम छात्र संगठन के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर इसी सप्ताह जारी दो पत्रों का हवाला देते हुए कहा है कि सोलह अप्रैल को कुलसचिव द्वारा विगत सिंडिकेट बैठक की अनुपालन प्रतिवेदन उपलब्ध कराने को लेकर विश्वविद्यालय के सोलह पदाधिकारियों को जारी एक संयुक्त पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पूर्व की सिंडिकेट बैठक का अनुपालन रिपोर्ट पत्र निर्गत के तीन दिनों के अंदर जमा करें जिसे अप्रैल माह में होने वाली सिंडिकेट बैठक में प्रस्तुत किया जा सके.
वहीं मात्र चार दिन बाद इक्कीस अप्रैल को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि आगामी सिंडिकेट बैठक सात मई को होगी. ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि बीएनएमयू कुलसचिव किसे बेवकूफ बना रहे विश्वविद्यालय के सोलह पदाधिकारी अथवा सिंडिकेट के सदस्यों को ?छात्र नेता राठौर ने कहा कि बीएनएमयू कुलसचिव द्वारा इस तरह की गलती कोई नई बात नहीं हैै. कुछ दिन पहले ही दो कॉलेजों के ऑडियो वीडियो प्रकरण से दो माह पहले कि तिथि में ही जांच के आदेश की अधिसूचना जारी कर दी थी. उच्च शिक्षा के सर्वोच्च परिसर में इस तरह की गलतियां बहुत दुखद है वरीय पदाधिकारियों द्वारा जारी पत्रों, सूचनाओं अथवा अधिसूचना ओं को पूरी जांच पड़ताल के बाद ही जारी करना चाहिए.
अन्यथा इससे विश्वविद्यालय की छवि को धक्का लगता है. वहीं दूसरी तरह स्नातक प्रथम खंड को लेकर जारी एडमिट कार्ड में व्यापक खामियां कुव्यवस्था को दिखा रहा है. दो साल बाद परीक्षा लेने के पहल के बाद भी एडमिट कार्ड में नाम के कॉलम में हिंदी अंग्रेजी में किसी में हिंदी तो किसी में अंग्रेजी में ही नाम होना, किसी मे छात्र के नाम तो किसी में कुछ और गलत प्रिंट होना छात्रों को परीक्षा से पहले मानसिक रूप से प्रताड़ित करने वाला है. इसमें अविलंब सुधार की जरूरत है.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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