अमृत महोत्सव में स्वतंत्रता सेनानियों की उपेक्षा पर एआईएसएफ ने लिखा खूला पत्र, जीर्णोद्धार की याचना - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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13 अगस्त 2022

अमृत महोत्सव में स्वतंत्रता सेनानियों की उपेक्षा पर एआईएसएफ ने लिखा खूला पत्र, जीर्णोद्धार की याचना

मधेपुरा: आजादी के 75 साल पूरा करने पर पूरे देश में जारी हर्सोल्लास के साथ मनाए जा रहे अमृत महोत्सव के मौके पर भी जिला मुख्यालय में स्थित स्वतंत्रता आंदोलन के अमर नायकों स्मारक व प्रतिमा स्थल की दुर्दशा पर एआईएसएफ के राष्ट्रीय परिषद सदस्य हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने खुला पत्र लिख प्रशासनिक स्तर अथवा आम आवाम के सक्षम लोगों से अपील किया है कि व्यवस्था की लापरवाही व कुव्यवस्था का दंश झेल रहे महापुरुषों से जुड़े स्थल को व्यवस्थित व जीर्णोद्धार की पहल में आगे आएं. यह कितना दुर्भाग्य है कि आजादी के 75 साल पूरा होने पर जहां घर घर तिरंगा पहुंचाने की होड़ लगी है वहीं यह सुअवसर प्राप्त कराने के लिए मुल्क को आजाद कराने में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले अमर नायकों को अमृत महोत्सव में भी उपेक्षा का दंश झेलना पड़ रहा. 
बीच बाजार में मौजूद युवाओं के सबसे बड़े आदर्शों में शुमार नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा स्थल के घेरा बन्दी व दोनों साइड के ब्रेकर को अवांछित तत्वों ने बहुत पहले ध्वस्त कर दियाा, कॉलेज चौक पर स्थित भूपेंद्र बाबू के प्रतिमा स्थल के चारो ओर प्रतिमा स्थल की सुरक्षा को लेकर लगे मोटे पाइप बड़े गाड़ियों के ठोकर से टूट चुके हैं. अमृत महोत्सव के अवसर पर इसकी साज सज्जा तो दूर इसके ध्वस्त हुए हिस्सों को भी नहीं सुधारा जा रहा. राठौर ने कहा कि एआईएसएफ मांग करती है कि सक्षम प्राधिकार व व्यक्ति अविलंब पन्द्रह अगस्त से पहले इसको दुरुस्त कर लें, सच्चे अर्थों में यही अमृत महोत्सव की उपादेयता भी है. 

एआईएसएफ नेता राठौर ने मधेपुरा ब्लॉक परिसर में लगे स्वतंत्रता सेनानियों के नामों वाले स्मारक को धरोहर के रूप में व्यवस्थित करने के बजाय ध्वस्त होने के लिए छोड़ देने पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि अमृत महोत्सव में जिन्हे प्रथमिकता देने की जरूरत है वे ही हासिएं पर हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब अमृत महोत्सव के बहाने हम अपने अमर नायकों को याद कर रहे हैं उनके योगदानों पर चर्चा कर रहे हैं वैसे में प्रशासनिक स्तर पर वो नजरंदाज हो रहे हैं इससे पता चलता है कि अमृत महोत्सव भी औपचारिकता व पैसों के बन्दर बांट का शिकार हो रहा है. ब्लॉक परिसर में मधेपुरा के स्वतंत्रता सेनानियों के नामों वाला स्मारक उस समय का है जब मधेपुरा सहरसा के अंदर था. 


लापरवाही का आलम यह भी है कि इस स्मारक के अनुसार मधेपुरा को आज भी सहरसा का ही प्रखंड माना जा रहा है जो दुखद है. अमृत महोत्सव के बहाने ही इसमें सुधार करते हुए उसे व्यवस्थित किया जाए और उस ऐतिहासिक धरोहर का सौंदर्यीकरण भी हो. एआईएसएफ का मानना है कि प्रशासनिक व सक्षम व्यक्तियों द्वारा अगर पहल हो तो इन कमियों को दूर किया जा सकता है और किया भी जाना चाहिए क्योंकि इन्हीं की कुर्बानी व त्याग के बल पर हम आजाद भारत के आजाद नागरिक बन स्वतंत्र जिंदगी जी रहे हैं. राठौर ने साफ किया कि अगर प्रशासनिक व सक्षम हाथों द्वारा कारगर कदम नहीं उठाए गए तो एआईएसएफ भिक्षाटन कर इसे पूरा करने का काम करेगा.

(रिपोर्ट:- ईमेल)

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